Book Title: Chandappahasami Chariyam
Author(s): Jasadevsuri, Rupendrakumar Pagariya, Jitendra B Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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पउमनाहनिवो
किंच
घोरं तवं चरंतो अघोरचित्तो पहट्ठिओ चेव । तुहिणकणपवणपीडियगत्तो वि अपरिहरियसत्तो ॥ २६१२ ।। काउस्सग्गपवन्नो, नेइ निसाओ वि मुक्कपावरणो । हेमंते मुक्कपरिग्गहग्गहो मुत्तिकयचित्तो || २६१३ ॥ गिम्हे सूराभिमुो होउं पडिवन्नपडिमसब्भावो । तत्तो य सूइसमलग्गमाणकिरणेहिं दज्झंतो || २६१४ || निम्मलधम्मज्झाणाओ नेय मणयं पि चलइ स महप्पा । सप्पुरिसा नियकरणिज्जवत्थुविसए थिरा अहवा || २६१५ || वासारत्ते संलीणकायजट्ठी ठिओ तरुतलेसु । रयणीसु बहुलजलयंधयारजणजणियतासासु ।। २६१६ ।। विसहर दुव्विसहाओ मुसलायाराओ वारिधाराओ। अइनिबिडखडहडरवे, निवडते विज्जुदंडे य ।। २६१७ ॥ भाविंतो य अणिच्चाइ भावणाओ दुवालसाओ वि । अव्वहिओ अहियासइ, उवसग्गपरीसहे विविहे || २६१८ || एवं सीहत्ताए, पडिवज्जिय दिक्खमेस अभिउत्तो । सीहत्ताए विहरइ पभूयकालं महासत्तो || २६१९ || समयंतरे य नाउं सरीरबलहाणिमुत्तमधिईओ । आगमविहिणा संलेहणं च काउं अणासंसी || २६२० ।। झायंतो पंचगुरू सद्धम्मज्झाणनिच्चलमईओ | अंते समाहिमरणं, आराहित्ता समियपावो || २६२१ || जाओ अच्चुयकप्पे, देविंदो फुरियदिव्वदेहजुई । अच्छरजणमणहरणि अच्चब्भुयदेवइड्ढीओ || २६२२ || निम्मलसम्मत्तधरी, अणुहवइ सुहं अणोवमं तत्थ । रइसागरावगाढो, बावीसं सागरोवमे जाव || २६२३ || (गीतिका ) जे अन्ने वि नरिंदलच्छिविमुहा रज्जाइं सुद्धासया । मोत्तूणुत्तमदिक्खमब्भुवगया तेणेव सद्धिं पुरा || रायाणो नियवंसमोत्तियमणी संपालिऊणं वयं । संपत्ता सुगईसु ते वि मरणं कालेण आराहिउं ॥ २६२४ ॥ जाओ वि देवीओ समं निवेणं, वयं पवन्नाओ समेक्कसारं । ताओ वि घोरं तवमायरित्ता, गईओ पत्ताओ सुहावहाओ || २६२५ हिरीमइदेवी पुण तब्भवे वि उपन्नकेवलन्नाणा । नीसेसकम्ममुक्का सासयसोक्खं गया मोक्खं ॥ २६२६ ||
एवं जहा अजियसेणनरिंदचंदो, मोत्तूण चक्कहरलच्छिमतुच्छसारं ।
घेत्तू संजमसिरिं अह अच्चुयम्मि, कप्पे विसालजसदेवगुणम्मि पत्तो || २६२७ ॥
पव्वम्मि एयम्मि तहा समग्गं, पवन्नियं वित्थरसप्पसंगं ।
मुति कुव्वंतिय जे इमो व्व, भवंति ते अच्चुयलच्छिठाणं ॥ २६२८ ॥
इइ चंदप्पहचरिए, जसदेवंकम्मि पंचमं पव्वं । भणियं एत्तो छट्ठ, उद्दिट्ठ संपवक्खामि ॥ २६२९ ।। (छट्टो पव्वो)
चंदुज्जलाओ चंदप्पहस्स देहप्पहाओ दिंतु सुहं । अज्ज वि मज्जणखिवियाओ खीरधाराओ व सुरेहिं ।। २६३० ।। अह अच्चुयकप्पाओ चविओ आउक्खयम्मि कइया वि । अच्चुयकप्पाहिवई, भवम्मि को सासओ अहवा ।। २६३१ सिरिरयणसंचयपुरे, उप्पन्नो पउमनाहनामो तं । कणगप्पहस्स पुत्तो, देवीए सुवन्नमालाए ।। २६३२ ||
इय सिरिहरमुणिनाहो, केवलनाणी भवावलिं रन्नो । पुव्विल्लं कहिऊणं, खणं ठिओ जाव मोणेण || २६३३ ॥ पुव्वभवायन्नणजायहरिसरोमंचकंचुओ ताव । बद्धंजली मुणिदं पुणो वि राया भणइ एवं ।। २६३४ ॥
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