Book Title: Chandappahasami Chariyam
Author(s): Jasadevsuri, Rupendrakumar Pagariya, Jitendra B Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 139
________________ सिरिचंदप्पहजिणचरियं किं व ससहरिणसूयरा य पमुहे पभूयजीवसए । हणिऊण पेयलोयस्स भोयणट्ठा कराविंसु ॥। २७९६ || तप्पावपरिणइफलं जं पुण तं तुज्झ चेव एक्कस्स । आवडियमिहं इण्हि ता विसहसु निठुरो होउं ॥ २७९७ ।। जीवाण निरवराहाण जं पि अंगस्स छेयणमकासि । तं पि इयाणि विसहसु रे पाव ! किमारससि करुणं ।। २७९८ ।। इय भणिऊणं सरसेल्लभल्लकुंताइतिक्खसत्थेहिं । पोयंति सव्वगत्तेसु तिव्वपीडं उवजणंता ।। २७९९ ।। सरियासरेसु सरसीसु सागरेसु य वसंतमिच्छाए । दट्ठूणं मीणउलं निराउलं जं पुरा पाव ! ॥ २८०० || गुरुपडिसदंडहत्थो निग्गहणनिमित्तमुज्जममकासि । उवभुंजसु तप्फलमवि संपइ कीसाउलो होसि ॥ २८०१ ।। एवं भणमाण च्चिय खिवंति वसरुहिरपूइपुन्नाए । वेयरणीए नईए अगाहजंबालपुन्नाए || २८०२ ।। लउडेहिं पिट्टिऊणं तारंति हढेण तं तहिं सो य । तरमाणे छिज्जइ वेगवाहिगुरुतरतरंगेहिं ॥ २८०३ || तहा हि १०८ 1 करवत्तकुंतकुंटीकप्पणकरवालकुलिसफासेहिं । अब्भाहओ वराओ कल्लोलसएहिं उवरुवरि ।। २८०४ || पाडिज्जइ लुयकरचरणजाणुजंघो अईववियणंतो। कह कह वि उट्ठिओ नीहरित्तु अह नासई तत्तो || २८०५ ।। अच्चततत्तवेयरणिपुलिणवालुयपुलुट्ठपायजुओ । नासेउमपारितो पुणो वि सो तेहिं सच्चविओ || २८०६ ।। तो गिद्धघूयसिंचाणसउलियामाइविविहविहगाण । विउरुव्विऊण रूवे पडंति तस्सुवरि भक्खट्ठा ॥ २८०७ || तोडंति चंचुसंडासएहिं फालंति तिक्खनहरेहिं । कक्खडपक्खोयाएहिं तह य दूमिति अच्छी || २८०८ | पुरओ होऊण तहा भांति एयारिसं इमे वयणं । किं नाससि सयमेव अज्जिऊण रे पाव ! फलमज्ज || २८०९ ॥ अवरं च विविहविहगे हणिसु सिंचाणए खिवेऊण । जं सि पुरा तं सुमरसु इन्हिं विहगेहिं खज्जंतो ।। २८१० ।। जओ - जं चिय भवंतरे संचिणंति सयमेव पाव ! असुहफलं । जीवा तं चिय भुंजंति एत्थ अकयागमो न उण ॥ २८११ ॥ जो खलु एक्कं वारं निहओ जीवो तहिं पि जं पावं । अइकूरज्झवसाएण पाणिणा अज्जियं होज्ज ।। २८१२ ।। तस्स वि अणुभावेणं परमाहम्मियसुरेहिं नरयम्मि । हम्मइ अणेगवेला किं पुण जो हणइ जियलक्खे || २८१३ ।। तो अप्पवहाए च्चिय हयास ! जे निहणिया पुरा जीवा । अणुहव तप्पावफलं मणं पि मा दुम्मणो हो । २८१४ || एवं सुणमाणो च्चिय खज्जतो वज्जतुंडपक्खीहिं । तद्दुक्खसहणभीरू असिपत्तवणंतरं लीणो ।। २८१५ ।। तहा हि वायसपारद्धो घूयडो व चुंटिज्जमाणसयलतणू । खद्धं खद्धं विहगेहिं तहिं तह पीडिओ गाढं || २८१६ || जह अवरपरत्ताणं अलहंतो पासिऊण अइगहणं । असिपत्तवणं असिपत्तनामएहिं सुरेहिं कयं ॥ २८१७ ॥ उल्ललिऊण य तस्संतरालविवरम्मि पविसइ वराओ। जाव इमो ताव पडंति ताओ तस्सुवरि पत्ता || २८१८ ।। काई वि सेल्लसरिच्छाई बाणवुट्ठीसमाई काई पि । सव्वलसमाई काई वि काई वि असिधारसरिसाई ।। २८१९ ।। एमाइ विविहसत्थोवमाई निवडंतयाणि छिंदंति । भिंदति लुणंति हणंति अंगुवंगाई तस्स पुणो ॥ २८२० ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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