Book Title: Chandappahasami Chariyam
Author(s): Jasadevsuri, Rupendrakumar Pagariya, Jitendra B Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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सिरिचंदप्पहजिणचरियं
देविंदनरिंदाणं ससुरासुरमणुयखेयरिंदाण । न परं मणोरमा जा मणोरमा नामओ वि जणे || ५१३५ ।। विंझगिरिवसुम इव विराइया मत्तवारणसएहिं । रयणायरवेलाभूमिय व्व सुविसिट्ठरयणा य ।। ५१३६ ।। गंभीरसलिल गुरुदहसमीवभूमि व्व सोहइ समंता । दीसंतमयर अहिगासहत्थिनरमाइरूवेहिं ॥ ५१३७ ।। कत्थ महाडई इव ईहामिगसरहरुरुवरलाहिं । संजणिय अहियसोहा सविहंगमबालचमरेहिं । ५१३८ ।। कत्थइ वणलयचित्ता कत्थइ पउमलयभत्तिचित्ता य । कत्थइ रणंतघंटावलिमणहरमहुरसररम्मा ।। ५१३९ ।। पणवन्नरयणउच्छलियकिरणआबद्धइंदचावसया । सुहकंतदरिसणिज्जा निउणो वि य कणयमयभूमी ॥ ५१४० ॥ रूवगसहस्सकलिया अणेगखंभसयसहसरमणिज्जा । सोमालसुहप्फासा लंबतविचित्तहारलया ।। ५१४१ ।। अप्पडिमरूवसोहियसीलट्ठियसालिभंजिया सहिया । पुरिससहस्सपवोज्झा दीसंतविचित्तफुल्लहरा ॥ ५१४२ ।। (कुलयं) तीइ बहुमज्झदेसे मणिमयसीहासणं सपावीढं । तत्थ पुरत्थाभिमुहो उवविट्ठो तिहुयणस्स पहू ।। ५१४३ ।। तस्सुवरिपुंडरीयं कोटियमल्लदामरमणीयं । कुंदिंदुसप्पगासं धरेइ बारसमकप्पिंदो || ५१४४ ॥ अच्चंत सुहुमदीहरसुरेहिं डिंडीरपिंडसियकेसे । सक्खिज्जंते बहुभवसमज्जिए पुन्नतंतु व्व ॥ ५१४५ ।। सक्कीसाणा दोन्नि य उभओ पासट्ठिया जिणिंदस्स । ढालिंति दिव्वचमरे नाणामणिकणयमयदंडे || ५१४६ ॥ (जुगलं ) पुरओ य जिणवदिस्स सम्भुहा तत्थ ट्ठाइ इंदाणी । गहिऊण तालियंटं वेरुलियालिद्धमणिदंडं ॥ ५१४७ ॥ एगा य पुव्वदक्खिणभागे होऊण जिणवरिंदस्स । सुसिलिट्ठसंधिसंगयमयरमुहाबद्धगुरुसोहं ॥ ५१४८ ।। निम्मलजलपडिपुन्नं बहुविहरयणोहखचियकणयमयं । इंदस्स अग्गमहिसी चिट्ठइ गहिऊण भिंगारं ।। ५१४९ || (जुयलं ) एमाइ विभूईए सिबियाइ ठियस्स तिजगनाहस्स । छट्ठेणं भत्तेणं लेसाहिं विसुज्झमाणस्स || ५१५० ।। समवत्थालंकारा समतारुन्ना समाणवरवन्ना । समकंतिदेहसोहा जे मणुया तुल्लगुणरासी || ५१५१ ॥ सा ताण सहस्सेणं पढमं उप्पाडिया महासिबिया । देविंददाणविंदेहिं तयणु सयलेहिं समकालं ॥ ५१५२ ।। भणियं च
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पुव्वि उक्खित्ता माणुसेहिं सो हट्ठरोमकूवेहिं । पच्छा वहंति सिबियं असुरिंदसुरिंदनागिंदा || ५१५३ ।। चलचवलभूसणधरा सच्छंदविउव्वियाभरणधारी । देविंददाणविंदा वहंति सीबीयं जिणिदस्स ।। ५१५४ ।। पणवन्नकुसुमवुट्ठि मुंचंता दुंदुभीओ वायंता । तो देवगणा हट्ठा च्छायंति समंतओ गयणं ।। ५१५५ ।। अवि य -
जह पउमसरं सरए सोहइ पम्फुल्लकमलमाईहिं । तह सोहइ गयणयलं सुरेहिं आऊरियं तइया ।। ५१५६ ॥ नाणालंकारधरा नाणानेवच्छभूसिया अमरा । नाणाविहकुसुमपवालकप्परुक्खे विडंबंति || ५१५७ ॥ तिलिया मउंदपडुपडहझल्लरीसंखमाइपूराण । धरणियले गयणम्मि य उच्छलिओ बहलनिग्घोसो ॥ ५१५८ ॥ सिबिआ पुरओ संपट्टिया य तस्सट्ठ मंगला एए । देवाण करयलेहिं संधरिया आणुपुव्वीए ॥ ५१५९ ॥ सत्थियए सिरिवच्छे नंदावत्ते य वद्धमाणे य । भद्दासणा य कलसे मच्छजुए दप्पणे चेव || ५१६० ।।
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