Book Title: Chandappahasami Chariyam
Author(s): Jasadevsuri, Rupendrakumar Pagariya, Jitendra B Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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सिरिचंदप्पहजिणचरियं दिव्वसरीरपरिग्गहविरायमाणो सुरेहिं व सुरेसो । बहुमयगुरूचलंतो अणुगम्मइ सो नरिंदेहिं ॥ ३०५५ ।। (कुलय) तहा - हयवारकरायड्ढियकढिणकुसापिंडियग्गगीवेहिं । दुक्खं गम्मइ पहि पहियसंकुले खलिरतुरएहिं ॥ ३०५६ ।। तुरगिनिरुद्धरएहिं हरीहिं नहसमुहमुप्पयंतेहिं । जाओ तरलतरंगाउलो व्व बलसायरो तइया ।। ३०५७ ।। अच्चग्गलपसरियनिवबलाण पेच्छिय महत्तणं च लहुं । तुरयखुरक्खयरगपसियमंबरं लज्जियं नळं । ३०५८ ।। गयणे सविज्जुपुंजा पाउसजलया धरंति जं लच्छि । रयणत्थरणधरेहिं धरिया धरणीए सा चलकरीहिं ।। ३०५९ (गीतिका) एक्को वि हु खविउमलं, रिउकुलमेसो किमेत्थ तुब्भेहिं । इय गयसमुहं रुणरुणिरभमिरभमरं भणंति व्व ।। ३०६० ।। नरनाहविजयजत्ताइ जयकारी जं मएण सिंचंति । हरिखरखुरक्खयरयं तेण जणा संचरंति सुहं ।। ३०६१ ।। खरखुरुनिवायदारियभूमीण तुरंगमाण विसमपहे । खलणुच्छलंतचक्कं संचलियं रहसमूहेण ।। ३०६२ ।। न सहइ करमेस निवो, जयवं अन्नस्स महियलम्मि रवी । इय चिंतिउं व जाओ, अविरलरहधयवडंतरिओ ॥ ३०६३ जं निवविक्कमबीयं रविउमणेहिं रहवरेहिं भूमियलं । कसियंत पूरिज्जइ, गयमयसलिलप्पवाहेहिं ।। ३०६४ ।। चलियसिलोच्चयगुरुणा, करिभारेणं निपीडियसरीरा । नित्थणइ व रहचक्कारवेण भूमी बहिरियासं ॥ ३०६५ ॥ रहवरचिक्कारमिसेण बलभरत्तं पलोइऊण धरं । कंदंति पंडिसद्देण तमणु रोयंति व दिसाओ ॥ ३०६६ ॥ जा जंति केत्तियाई वि, पयाइं अइरहसनिग्गयनरिंदा । सह परिमियपरिवारेण सामिसेवा समुज्जुत्ता ।। ३०६७ ।। कत्तो वि ताव पत्तेहिं झ त्ति पुरओ पयाइनिवहेहिं । परिवारिया विरायंति ते वि नियसामिणो अहियं ।। ३०६८ (जुयल) परिहियकालायसवारबाणकसिणं पयाइविंदं च । लक्खिज्जइ निवपुरओ, रविभयसरणागयतमं व ॥ ३०६९ ।। उन्नयवंसपरिग्गहगुणभूसियविग्गहा कुलवहु क ! मट्ठिगया जोहाणं, धणुल्लया जणइ आणंदं ।। ३०७० ।। मेहसरिच्छासु करेणुयासु आरुहियवारतरुणीओ । रयणाहरणधराओ, तडिलयसोहं विडंबंति ॥ ३०७१ ॥ सयलं पि पुरं उब्भडकुऊहलाउलियतरुणिदिट्ठीहिं । नीलुप्पलमालाहिं व, निवस्स अग्धं समुक्खिवइ ॥ ३०७२ ।। बहुपरिचियम्मि वि निवे, अरविंदेहिं व रविम्मि रमणीण । नयणेहिं वियसियमलं, कुऊहलं कस्स व न रम्मे ।। ३०७३ ओरोहवहूओ पडंतियाओ जणरावतसियवेगसरा । ल्हसियंसुयाओ तरुणे कुणंति कोऊहलाउलिए ॥ ३०७४ ।। कडयम्मि करिभयाओ कयकडुयरवं पलाइरोकरहो। चइऊण वोज्झ भंडं नडोव्व पोसइ जणस्स घणहासरसं ।। ३०७५ (संकिन्नय) एवं चिय सेरिभवसह मिंढमाईण विविहचेट्ठाहिं । कइकित्तणिज्जकडयम्मि वन्नणं कित्तियं कुणिमो ॥ ३०७६ ।। एमाइ विविहवइयरबहुले कडयम्मि नीहरंतम्मि । खुहियम्मि वि मयरहरे, पसरियहलबोलबहलम्मि ।। ३०७७ ।। गंतूण नाइदूरे पुरस्स काऊण सव्वसामग्गि। अणवरयपयाणेहिं, पयाइ राया सउच्छाहो || ३०७८ ।। आरामगामगोलपट्टणवरनयरनिगमपमुहाणि । लंघतो य कमेणं संपत्तो वाहिणिं सरियं ॥ ३०७९ ॥ जा य - बहुभंगतरंगसिरट्ठिएहिं हिमधवलफेणनिवहेहिं । सोहइ सायरजलओवरुद्धगिरिमंडिय व्व धरा ।। ३०८०।।
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