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भूधरजैनशतक
(शोभित) शोभाकारी [प्रियङ्ग)पाराअंग (भङ्ग) शरीर (भङ्ग)दूरहोना टू टना (लाजत) लजायमान होना (अन)कामदेव (दोप]दिवला (भा न) सूर्य [भास] चमक[ब्रह्मचारो। ब्रह्मका विचार करने वाला अर्थात् शे,लवान् [उग्रसेन राजलजीके पिताकानाम है 'कुमारी) पुत्री (जा
दोनाथ) जादो कुल के स्वामी अर्थात् नेमनाथजी महाराज कादो) . कीचड़ (रास)समूह [भीम) भयानक आनन अाननसहाय) और म 'सहाय(अहो) संवोधनार्थ वा बहु हर्ष में बाअद्भुत बस्तु निरख करयह शब्द बोलते है (तक) तककर ( रास ) समूह (तास) त्रास दुःख (कपा) दयालुता (कन्द) गांठ-जड़ ( दास ) सेवग ( खलास ) छुड़ाबो (फांस)कोटा
सरलार्थ टोका पापका शोभा मान प्रिय अंग देख कर दुःख दूर होजाता है और शोमा कारी शरीरको देख कर कामदेव लजायमान होजाता हनैसे दि वला सूर्य के प्रकाशते बालअवस्थासे ब्रह्मचारी अर्थात् नमनाथ खामी ने विवाहनहीं करायाराजाउग्रसेनकीपुत्रीकोनराजलजोकोभीजादीनाथ तेने भवरूप कोचड़ दुखराससे बाहरनिकाला ससार रूप भयानक वनमें भोखामों मेराौरकोईसहायकनहींहै अहोनेमनाथस्वामो दुःख कारण तुमतककर आयाह.भो कपाकन्द आपने जैसे जीवों कोबन्धसे छुड़ाया है ऐसेहो मुझसेबग को संसार रूप काटेसेछुटावो
पाच नाथ सामी की स्तति