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भूधरजनशतक
नामहै जिस के फूलमें सुगन्धि नहीं होती और महादेव पर चढ़ा ते है (आक) अर्क (घनेर ) बहुत (रिरी) पोतल ( टेर) शष्ट अवाज़ (भारो भारी (अगिया ) पटवोजना ( पूनों )शुक्ल पक्ष की १५ (मा वस) कृष्णपक्ष को १५ (पन ) पछ (पारखी) परखनेवाले (नेक ) थोड़ीदेर जरा (नोकेकर) अलेकर
सरलार्थ टोका केगी और कनेर केसे कर एक कही जाय आक दूध और गाय दूधमें बड़ा अंतर है यदि पीतलपीरी होतीहै पर कंचन की रोस नहींकरसक तो कहां काग को बान कहाँ कोयल की टेर कहां सूर्य अतिप्रका सामान कहाँविचारापटविनना कहांपूनोंकाउजियालाकहांमावशकाअ धेरा बड़ाअंतर है हेपरखनेवाले पक्ष छोड़कर थोड़ीवार ध्यान करदेख जन बचन औरपर मत के वचन मैं इतनी ही फेर है ज से जपरकहाहै
-edito- घनाक्षरी छन्द कव ग्रह वाससौंउ' दासहोय वनमे उ बनि
न रूपरोकू' गतिमन करौ को । रहिहौं अ 'डोल एक' असिन अचल अंग' सहौहों प रिषाशीत घाम मेघ झरी की। सारंगसमाज
खाज' कवयों खुनावै पान; ध्यानदल नोर • जीतू सेनामोहि अरोकी । एकल बिहारीय'