________________
१.२
ঘনঘন 'मालिक भर्तार ( भार ) कांटा (अपराधी ) पापो ( पुग्गल ) पुदगल द्रव्य छओं द्रव्यमें से एक द्रव्य का नाम है ( पालो ) सखी (सान ) प्यारो ( खार) खराब ( भोंदू) मूर्ख [ भरतार ] पति । -
। .
. .
सरपथ
टोका ।
एक स्यानो सखी बुद्धि रानीसे कह है कि हे सुवृद्धि रानी तेगे पति दुखो देखकर मेरे उरमें कांटासा सगै है षट् द्रव्यों में से एक पुदगल ट्रव्य महा पापी है सो मानौ प्रकार दुखदेता दिखाई देता है फिर स धुधि सखी ऐसा उत्तर देती है कि हेलाल पुदगलको क्या दोष अपनो भूलसे पाप जीव पराव होरहा है अपना खोटा पैसा सराफे बाजारमै क्योंकर चलै भावार्य किसो का दोष नहीं मेरा ही पति मूर्ख है।
गुजराती भाषा में शिक्षा
कड़का छन्द ज्ञानमय रूप रू, डो वनो जेह न, लखै क्यौं नं रे सुख, पिण्ड भोला । बंगलौ देहयो, नेह तोसों करै, एहनी टेब जो, मेह बोला । मेरनै मानभव, दुक्ख पाम्या पर्छ, चैन लाधो नथो, एक तोला। बलौ दुख वचन, बौज बावै तुमैं, पापयो आपने,