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सुपरजनशतक १.१ *ष राना यशोधरं पोर जिस की चन्द्रमति राणी मरकर महल में मोर और मोरनी पर्थात राजा यशोधर मोर हुये और चन्द्रमति राणी मोरनी इसी प्रकार पुरुष पुरुष स्त्री स्त्र २ बाइक म ३ मच्छ महतो ४ बकरा बकरी ५ भैसा भैस ६ बकरा वकरी ७ मुर्गा मुर्गी इस प्रकार सोत भव में दुख पाये रामा यशोधर के चुनका गुर्गा बना कर मारने का कथन सुन सन्त मम अपने हमें नरमाये ।
___ - - सुबुद्धि सखी प्रति वचनोत्र
घनाक्षरोछंद क है एक सखौ स्थानी; सुनरौ सुबुद्धि रानी, तेरो पति दुखी देख, लागै नर आर है। महा अपरा धी एक, पुग्गल है छहों माह, मोई दुख देत दो खे, नाना प्रकार है। कहत संबुध आलो, कहा दोष पुग्गल को, अपनीहि भूल लाल, होत आप खार है। खोटोदाम आपनो स, राफ कहो लगै और, काऊको न दोष मेरोभोंटू भरतार है ॥८८॥
... शब्दार्थ टीका (सणी ) स्त्री [ स्थानी ] चतुर ( सुबुधि) भली बुद्धि वाली (पति)