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• গালমন
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धीर्यधारणशिक्षा वर्णन
मत्त गयन्द छंद जोधन लाभ ललाट लिख्यो लघु, दौरघ सुकृत के अनुसारै । सोइ मिलै कुछ फेरनहो मरु, देश कि टेरसुमेर सिधारै । कूम कियों भर सागर मैं नर' गागर मान मिलैनब सारै। घाटक बाध कहीं न हि होयक' हा करिये अब सोच विचारे।। ७५ ।।
. शब्दार्थ टीका (सक्छत ) भलीकृत ( अनुसार ) अनुकूल मुवाफिक तुत्य (मर देशकि ढेर ) वागड़ देशके रेतके टीवे मरुस्थल भावार्थ काम पैदावा मुल्क (स मेर) सौनेका पहाड़ ( कूप ) कुवा [ सागर ] ममुद्र (गोगर ) घठ ध डा (मान) तुल्य (मार ) सबनगह। .
सरलार्थ टीका जोधन लाभ कम बढ़ती भत्तो कत के अनुसार ललाट में लिखा गया सोई मिलेगा इसमें कछु फेर नहीं है चाहे वागड़ देशके टीबोंमें जिनमें कुछ पैदा नहीं होता चाहे सुमेर परक्तपर जो सोनेका है जाओ जैसे चाहे कूत्रा मैं चाहे सागर में भरो हेनर घड़े की तुष्य सारै नत मिलेगा