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भूधरजैनशतक
६५ पाले भोमें आदिनाथस्वामी जैवरमा नाम भये दूसरे जन्म में महाबल नाम राजाहुये तीसरे भोमें ईशान नाम वर्गमें ललितांग नाम देवभये चौथे वनजंघ नाम राना कहाये पांचवें जन्म में जौड़िया स्त्री पुरुष भो ग भूमिया बने छठे भोमें सम्यक होकर दूसरे देव लोक अर्थात् ईशान नाम स्वर्ग में गये सातवें भोमैं सुबुद्दिदेव नाम भये आठवें भीमें अचुत खग में इन्द्रहुये नौमभोमैं यजमाभि नाम चक्रवर्ती भये दशमभो मैं अह मिन्द्र हुये ग्यारमभोमैं ऋषभरूप सूर्य- नाभिवंशरूप पर्वत के सिरपर म.मलियो है भावार्थ ग्यारमेभीमें नाभिनाम राजा के श्रीऋषभ देव उत्पन्न भये।
श्रीचन्द्रप्रमुखामी के पूर्वभव कथन
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गीता छन्द श्रीवर्म भूपति पाल युहमी, खर्ग पहले सुरभयो। सुनिअजितसेनछखण्ड नायक,इन्द्रअच्च तमैथयो। बर पदमनाभि नरेश निर्जर, बैजयन्त विमानमैं । चन्द्राभखामौ सातवें भव, भये पुरुषपुराणमैं ॥३॥
शब्दार्थटीका