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. मुघरजनशतक
६३ (गजपुत्र ) बैल (ग़जराज) हाथी ( वाज ) घोडा (वानर) वन्दर ( कोक ) मैंडक ( कमन ) फूल विशेष (साथिया ) चिह्न विशेष नी दे वपूजा मैं मङ्गलोक होता है ऐसा चिन्ह * (सोम ) चन्द्रमा (स
* * फरो पति ) मगर मछ [ श्रीतरु ] कल्पहच्च ( गैंडा ) पशु विशेष (महिष ) भैसा ( कोल ) सूर ( कलश ) घट (.कच्छप ) कछुवा (शत पत्र ) कमल का फूल विशेष [ शङ्ख] उल उन्तु का घर जो वैष्णव म त के मन्दिरों में वजाते हैं ( अहिराज ) सर्प ( हरि) सिंह ( ऋषभटेव जिन ) आदिनाथ स्वामो पहले तीकर ( श्रीवईमान ) महावोर खा मो पिछले तीर्थकर (चिन्ह) निशान ( चार ) मले।
सरलार्थ टौका श्रीपादिनाथ १ कै वैल श्रीअजिननाथ २ के हाथो श्रीसम्भवनाथ ३ के घोड़ा श्रीअभिनन्दननाथ जो ४ के वन्दर श्रीसमतनाथ मोपकैमेंडक श्री पद्मप्रभुनी ६ कै कमल श्रीपालनाथजी ७ कै सांथिया श्रीचन्द्रप्रभुजी ८ कै चन्द्रमा सविधिनाथजी के मच्छ श्रीशीतलनाथनी १० के क ल्पहक्ष श्रीश्रेयांसजी ११ को गैंडा श्रीवासपूज्य जी १२ के भैंसा श्री विम लनाथमो १३ के सूर श्रीअनन्तनाथजी १४ के बेहो श्री धर्मनाथ जी १५ के बच्च श्रीशान्तिनाथजी १६ के हिरन श्रीकुन्युनाथजी १७ के बक रा श्रीअरहनाथजी १८ के मछली श्रीमशिनाथ १८ के कलश श्रीमुनिक तनाथजी २० के कछवा अनमिनाथ जी २१ के शतपत्र थनिमिनाथजी के२२शङ्ख श्रीपार्खनाथजी २३के सर्प योमहाब रखामी २४ के सिंह श्री आदिनाघखामो पहले तीर्थंकर आदि श्रीमहावीर स्वामी पिछले तीर्थ कर पर्यन्त ये भले चौवीस चिन्ह हैं।