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चरनयतक
सधोरेअमों'सावधान होरेनर, नरकसों बचे है ॥ ३०॥ . शब्दार्थ टीका
सार) गूदा (विख्यात ) प्रत्यक्ष ( तरुणाई ) जवानी (मधु ) सह त ( रसै है ) मनलगावेहे (मद ) फूल का रस [ भौरा ) अलि (रा मा) स्त्री ( कोदो) एकतरह का धान जिसके खानेसे कुछनशा होजा ता है (मचे हे ) माचे है ( वौर) बावले ( सावधाम ) एकचित्त हो शियार
सरलार्थ टोका
नर देह जगत में सार है किस कारण के सारे उत्तम काम इसनरदेहमें बनते हैं यह बात प्रत्यक्ष वेदों में वांचो आती है इस मांह जवानों की अवस्था धरम सेवन को समय है औरतेने इस अवस्था में विषय से ये ज मे मांखी सहत में राच रही है मोह रूपमद का भोंरा हुवा और स्रो हित धन जोड़ा इस प्रकार दिनों को खोय कर कोदों धान के समान माचे है रे बावले सुन अब सिर पर सुपेद बाल भागये अर्थात् का तका काल श्रागया अब सावधान हो हेनर नरकसों बचे है
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मत्तगयन्द छन्द
बायलगी किवलायलगीमद, मत्तभयो नर भूतलग्यो हो । वृद्देभयेनभनेभगवान 'वि' विषयात अन्धौतनको हो ।