Book Title: Bhudhar Jain Shatak
Author(s): Bhudhardas Kavi
Publisher: Bhudhardas Kavi

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Page 64
________________ भूधरजेनशतक शब्दार्थ टीका (दोन) गरीब ( यज्ञ ) जोमन ( होमत ) आग मैं डालना ( कुटम्ब ( कुगवा ( जगतईश) परमेश्वर (दुहाई ) फरियाद सरलार्थ टौका गरीब पशु ऐसा कहते हैं कि हे यज्ञ के करता सुन मुझे अगनीमें डाल ने में कौनसोबडाई है स्वर्ग का सुख में नहीं चाहता कुछ मुझे दो ऐ भानहीं कहता घास खा कर रहताही यही मेरे मनमें आई है, जो तू ऐसा जानता है के वेद ऐसा कहै है कि यज्ञ जला जोव वर्गसुख ढा ता पाता है तौ है भाई जिस मैं अपने कुटम्ब ही को क्यों नहीं डान ता मुझे क्यों जलो वेहै दुहाई परमेश्वर की सातोबारगर्भितषटकर्मउपदेश ---- - छप्पै छन्द अध अन्धेर आदित्य, नित्य सिन्भाय करोजे । सोमायम संसार ताप, हर तप कर लो जै। जिन बर पूजा नेम, करो नित मङ्गल दायन । बुध संयम आदिरो' धरो चित श्रीगुरु पायन ।

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