Book Title: Bhudhar Jain Shatak
Author(s): Bhudhardas Kavi
Publisher: Bhudhardas Kavi

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Page 62
________________ ঘৰলীলঙ্গ ठे को छोड़ नरभो का यही लाभ है मनुष विचार विना यश को तुल्य माना गया है इस लिये यह बात ठीक पारनी अर्थात् भने प्रकारमा त करनी योग्य है देव लक्षण मत बिरोध निराकरण छष्प छन्द जो जग वस्तु समस्त, हस्त तल जम निहारें । जग जन को संसार, सिन्बु के पोर उतारें । आदि अन्त अविरोधि, बचन सबको सुखदानी । गुणअनन्त जिस महि, रोगको नहीं निशानौ । माधो महेश ब्रह्मा किधी, बर्धमान के बोरया । येचिहननाननाके चरण,नमोनमोमुभादेववहा४६। शब्दार्थ टीका वस्तु) पदार्थ (समस्त ) सर्व ( हस्त तल ) इथे लो (अम ) जि म बसे (निहारें) देखें (सिन्धु) समुद्र ( अविरोध ,बिरोधरहितमा धो ) विष्णु (महेश) शिव (थई मान ) महायोर (बौड ] बौहब तार ( नसो) नसतार सरलार्थ टौका

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