________________
भूधरजैनशतक
८१
करार-वेसबर-चलायमान ( सोर) साझा ( दिलगीर ) दुखमान [पर] दुख (बिनश ) नाश होना ।
सरलार्थ टोका
1
}'
वाचक भय देने वाला दुखदाई कन्मं आगया जिस के दूर करने को कौन बलवान है जो जो मन में आये सो मैंने आप पुन्य पाप कमाये सो अव पुन्य पाप तेरे आगे आये देखते अरे मेरे भाई किस वास्तै अब चलायमान होता है इसमें किसीका साझा नहीं है दुख सुख सब आप उठा दिलगीर होने से दुख दूर नहीं होगा इस कारण हे बुद्धिमान् तू तमाशा देखने वाला रह ।
}'
1
O
.
0
t;
oft
होनहार दुर्निवार कथन
-1
घनाक्षरीकंद
कुल
कैसे कैसे बली भूप; भूपर बिख्यात भये, बैरी कांपै नेक, भोंहों के विकार सों || लंघेगिर सायर दि, वायर से. दिपैं जिन; कायर किये हैं भट, को रन हुँकार सों। ऐसे महा मानो मोत, आयेह नहा र मानी, उतरेन नेक कभो; मानके पहार सों ॥ देवसोनहारे पुनि' दानेसों नहारे और, काएसन
י{