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सुधर जनशतक
दोहा कन्द
येहो कह विधि कर्म भन, सात बिसन तज वर । इस हौ पैंडे पहुँ चिये, क्रमक्रम भवजन्ततीर ॥ ४६ ॥
शव्दार्थ टीका
५८
( भज ) स्मरण कर ( विसन) पाप । बीर ] भाई ( पेंडे ) ते ( म क्रम) सहन [ तीर] किनारे
सरलार्थ टोका
ये छ: को को ऊपर कहे स्मरण कर और सात विसन अर्थात् पापो नोचे कड़े जाते हैं हेभाई छोड इम रसे सहज सहज ससार रूप जल के किनारे पर पहुच जायगा भावार्थ संमार रूप समुद्र को पार कर देगा अर्थात मोच गाम होगा
न
सतव्यसनाथन
जूबाखेलन१ मांसर मदर, नेया बिसन शिकार५ । चोरौ६ पर रमणी रमण, सातों पाप निवार ॥ ५० ॥
शब्दार्थ टोका
[म] मदिरा (बेश्या) देसमा रएडोक्सो ( परमयों) पर (रमण )