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খভালমন্দ जिसशनकिये मुधिजायहिये; जननौजनजानतनारयही । मदाममऔर निषेधकहा; यहजान भले कुलमैं न गही। धिकहैडनकोबहजोदजलो जिनमृठनके मतलीनकहो।५३।
शब्दार्थ टोका (सरापद ) सिरसे पैरतक ( शुचिता पवित्रता (पान) प.ना (म ननी ] माता [जन ) मनुष [नार) स्त्रो ( निबंध ) खोटा [गही) ग्रहण करो ( लौन) भलो
. सरलार्थ टोका मदरा सिरसे पैर तक कीड़ोंकी रास और दुर्गन्ध हैं जिसके पीनेमेहदे की शुद्धिता जाती रहती है और मदरा पीने वाला पुरुष मत्त होकर माता को अपनी स्त्री जान लेता है सदरा वीतल्य और बायोटो बस्तु है ऐसा जान कर मदरा भले कुलमें ग्रहण नहीं करो उनदुरुषों कोधि कार है और वह नोव जलो जिन मूरों के मन में सोन मानो है। .
बेश्यानिषेध कथन
दुमिला छन्द धनकारणपापनिनौतकरै; नहि तोरत नेह यथातिनको ।