Book Title: Bhudhar Jain Shatak
Author(s): Bhudhardas Kavi
Publisher: Bhudhardas Kavi

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Page 33
________________ भूधरजैनशतक २३ र खुजावे गी और मैं ध्यान रूप सेना का संग्रह कर के मोह रूप बैरी की फ़ौज को जो तोंगा पौर काब ऐसा समय होय गा कि अकेला बिहा • र करों गा और जिन चिह्नों को ले को माताकेपेट से उत्पन्नहुबाया वही चिन्ह धारण करूगा अर्थात्नगनहगा औरकव इच्छा चारी होगा उस वरी बारो जाइये कब ऐसासमय भावे गा जैसा ऊपर कहा है 1002CREASE হষ বা অলৰ ৰূঘল घनाक्षरी छंद राग उदै भोग भाव, लागत सुहावने से, विना राग ऐसे लागे; जैसे नाग कार हैं। रागही से पागरहे; तनमें सदीबनीव' राग गए आब तमिलनि होतन्यारे हैं। रागहोस नगरीति; झूठो सव साज जाने, राग मिटै सूझत असार खेल सारे। रागी बीतरागी के विचार में बडो है भेद, जैसे महा पच काज, काज को ब यारे हैं ॥ १८॥ মন্দ ।

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