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সুমন্দঘন बदीत होय है और राधा में वासका बुढापे कारण अनेक रोग होजों ते है इस्लो सिवाय और कितने संजोम ऐरे होते निस्से नाना प्रका र के रोग होना ते ६ वाकी भव का रहो तिस ही ने विचारले काम की बात यही पाठी थपने मन शान तेरे सनने शव तो तुरतहोप भीछुट कारा करने नहींतो कास की धाल अचानक पान पर गी फिर कुछ गहों को या
घनाक्षरी छंद पाल पने बाल रच्यो, माझे पृष्ट दाज भयो, तो का लाज वाज बांधो, प्रायन को ढेर है। आप को अकान कीनो, पोलन में यश लौनो, पर भो विमार दीनो, विबै विष जे रहै। ऐसे गि ई विहाय, अलप सो रही नाय, नर पर खाय अह; पधे सो वढेर है। घायशत भैया अव,का ल है अवैया इम; जानौ रे, सियाले तेरे, अझों भी अन्वर है ॥ २८॥
शब्दार्थ टोला (बालपने ) बालक अवस्था में ( बाल ) वालक [ पर भौ) पर लोक (विसार) छोड़ना ( वश) वर (जेर ) नीचा (विहाय ) बदीत