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भूधरने नशतक
३३.
क्रम सिंघल हुवे पर पीछे क्या करि ये भाग जव झोंपड़ी नरम ला उस काल कूवा खदा येये क्या प्रयोजन सिद्ध होगा
घनाक्षरी छंद
सौ बरष आयु ताका, लेखा कर देखा सब, श्र धोतो अकारथ हि, सोवत विहाय रे । आधी मैं अनेक रोग, बाल वृद्ध दशा योग, और संजो ग केते, ऐसे बौत जय रे । बाकौ अब कहा र हो, ताही तूं विचार सही, कारन की बात य हो, नौको मन लाय रे । खातिर मैं आवैतो ख लासौ कर हाल नहीं, काल घाल परे है अचा
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न कही आय रे ॥ २७ ॥
शब्दार्थ टीका
(आयु ] उमर (लेखा) हिसाब ( अकारथ ] हथा ( विहाय रे ) व दोत [ अनेक ) वहुप्रकार ( बीत ] गुजर ( नोको ) भली ( खा
तिर ) मन [ बलासी ) छुटकारा ( हाल ) अव (काल) मौत (घा ब) एक प्रकार की जांदू को मार
सरलार्थ टोका
म्रो बरस की उमर का साराहिसाब कर देखा जाधो तो हथा सोवते
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