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থে সময়
(ध्यान) पासमविचार (हुताशन) अगनों (रि) बरी (रोक) घटक ( निवारो) बरजदई अर्थात् रोकदई [ शोक] दुख (इरा) किया (लाकनका) लोगोंका (केवल) ज्ञानविशेष (मयूप) सूर्य को किरण (उधारो) खोली फैलाई (लोक) उर्धलोक मधालोक. पाताल लोक येतीनों लोक स्थान है (अलोक) जोलोककेगुष्यसै रहित है (विलोक ) देख (शिव) मोक्ष (जन्म )पंदा होना (जरा) झापा (मृत) मौत (पंक ) कोच (पखारी ) धोई (सिह) जिनकी कोई विकार बाको नहीं रहा मोक्ष में चले गये (योक) म इली (भिवशोक ) मोच जोक (धोक) ममना (कास) तौं শীৱন্তু মার সম বয়া
सरलार्थ टीका धामरुप पग्निमें बैरी रुप इन्धन सों कौन इन्दियन के मुख जी मोच मार्ग को रोक थे झोक दिये अर्थात् जलादिये दूर करदिये भवि तो गोके दुख को हर लिया उत्तम केवल मान रूप सय्य की किरणों को बोलदिया लोक अलोकको देखकर मोक्षहोगये जन्म जरा मृतरूप को पड़ को धो दिया सिङ्गों का थोक जो शिवचोक में बसे हैं उनको तीन कालामारीपग धोको
मत्तगयन्द छन्द । तौरथ नाघ प्रणाम करें जिन; के गुण वर्णन मैं बुधि हारी। मोम गयो गल मोष मझाररहा