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कुलोंवाली माताओं की कुक्षि में गर्भतया उत्पन्न हुए है, होते है, होवेंगे फिर भी उन कुलों में वे कभी जन्म लेते नहीं और इसके बाद भी जन्म लेंगे नहीं।
१९) यह श्रमण भगवान महावीर जम्बुद्वीप नामके द्वीपमें भारत में माहणकण्ड नामक नगर में कोडाल गोत्रवाले है रिषभदत्त ब्राह्मण की भार्या (पत्नी) जालंधरगोत्र की देवानंदा ब्राह्मणी की कुक्षि में गर्भतया उत्पन्न हुए है।
__२०) अतः भूतकाल में हुए तथा वर्तमान कालमें होनेवाले सभी देवराज इन्द्रों का यह आचार (कर्त्तव्य) है कि के 2 अरहंत भगवन्तों को इस प्रकार के अन्तकलों में से या अधमकलोंसे या तच्छकलोंसे से या दरिद्रकलों से या * भिक्षुककुलों से या कंजुसकुलों से परिवर्तन के उगकुलमें, भागकुलमें, राजन्यकुलमे, या ज्ञातकुलमें या
क्षत्रियकुलमें या हरिकुलमें, विशुद्ध जातिकुल और वंश के अन्य दूसरे उत्तम कुल में रखना उचित है। ___ इसलिए मेरे लिए वास्तव में कल्याणकारी अवसर है कि, पूर्व के तीर्थंकरो के कथन किये हुए ऐसे अन्तिम 2 तीर्थंकर श्रमण भगवान महावीर को माहणकुण्ड ग्राम नामके नगर से कोडाल गोत्र के ब्राह्मण रिषभदत्त की है
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