Book Title: Barsasutra
Author(s): Dipak Jyoti Jain Sangh Mumbai
Publisher: Dipak Jyoti Jain Sangh Mumbai

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Page 200
________________ - २४२)(चातुर्मास रहे नित्य छट्ट करने वाले साधु को गृहस्थ के घर आहार पानी हेतु दो बार जाना-आना कल्पता है । (२४३) चातुर्मास रहे नित्य अट्ठम करने वाले साधु को गृहस्थ के घर आहार गोचरी के लिये तीन बार जाना आना कल्पता 1000Reso (२४४) चातुर्मास रहे नित्य अट्टम उपरान्त तप करने वाले साधु को गृहस्थ के घर आहार पानी के लिये सर्व काल में जाना-आना कल्पता है। (२४५) चातुर्मास रहे नित्य भोजन करने वाले साधु को सभी प्रकार के पानी लेना कल्पता है। (२४६) चातुर्मास रहे हुए एकान्तरे उपवास करने वाले साधु को तीन प्रकार का पानी कल्पता है, उत्स्वेदिम, संस्वेदिम, 3 चावलोदक । | (२४७) चातुर्मास में रहे हुए छट्ट करने वाले साधु को तीन प्रकार का पानी कल्पता है, तिलोदक, तुषोदक याने अनाज के धोवण का पानी और जवोदक । (२४८) चातुर्मास रहे हुए अट्टम करने वाले साधु को तीन प्रकार का पानी कल्पता है, - आयाम, (ओसामण), सौवीर

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