Book Title: Barsasutra
Author(s): Dipak Jyoti Jain Sangh Mumbai
Publisher: Dipak Jyoti Jain Sangh Mumbai

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Page 208
________________ 4045 140 1500 40 1500 40 (२६६) प्र. अब वह प्राण सूक्ष्म क्या है ? उ. प्राण सूक्ष्म यानी अत्यन्त छोटे जो चर्म चक्षु से न दिखाई दे ऐसे दो इन्द्रिय 'वाला' विगेरे सूक्ष्म प्राण । ये सूक्ष्म प्राण पांच प्रकार के बताये गये है। जैसे कि १. काले रंग वाले सूक्ष्म प्राण, २. हरे रंगवाले सूक्ष्म प्राण, ३. लाल रंगवाले सूक्ष्म प्राण, ४. पीले रंग के सूक्ष्म प्राण, और ५. श्वेतरंग के सूक्ष्म प्राण । अनुद्धरी नामक कुंथुवे की जाति है जो स्थिर रही हुई हलन चलन न करती हो तो उस वक्त छद्मस्थ साधु-साध्वियों को नजर नहीं आती और जो स्थिर रही हुई, हलन-चलन न करती हो तो उस वक्त छद्मस्थ साधु-साध्वियों को नजर नहीं आती और • जो अस्थिर हो, जब चलती हो तब छद्मस्थ साधु-साध्वियों को नजर आती है। अतः ऐसे सूक्ष्म प्राणों को वांरवार जानना, देखना और त्यागना चाहिये । 202 4045 140 1500 40 500 40

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