Book Title: Barsasutra
Author(s): Dipak Jyoti Jain Sangh Mumbai
Publisher: Dipak Jyoti Jain Sangh Mumbai

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Page 207
________________ 卐Syley (भीना-भीजा) हो तो अशन-पान-खादिम या स्वादिम खाना नहीं कल्पता। (२६४) प्र. हे भगवान! वह ऐसा क्यों कहते हो ? उ. जिनेश्वर भगवन्तों ने लम्बे समय तक पानी सूके ऐसे स्थान सात बताये है। वे इस प्रकार से है-दो हाथ, हाथ की रेखाएँ, नाखन, नाखूनों के अग्रभाग, भौ-आंखों के ऊपर के बाल, दाढ़ी और मूर्छ । जब साधु-साध्वियाँ ऐसा समझे कि मेरा शरीर पानी रहित हो गया है सर्वथा सूक गया है, तब उन्हें अशनादि चारों प्रकार के आहार करना कल्पता है। 1 म (२६५) यहाँ ही चातुर्मास में रहे हुए साधु-साध्वियों को आठ सूक्ष्मों को जानने जैसे है, अर्थात छद्मस्थ साधु साध्वियों को बारंबार जहाँ जहाँ वे स्थान करे वहाँ वहाँ पर सूत्र के उपदेश द्वारा जानने चाहिये आंखो से देखना है और देख जानकर परिहरने योग्य होने से विचारने योग्य है। १. सूक्ष्म जीव, २. सूक्ष्म पनक फुल्लि, ३. सूक्ष्म बीज, ४. सूक्ष्म हरित, ५. सूक्ष्म पुष्प, ६. सूक्ष्म अण्ड़े, ७. सूक्ष्म बिल और ८. सूक्ष्म स्नेह। 405000500 2018 For Privates Personal use only

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