Book Title: Barsasutra
Author(s): Dipak Jyoti Jain Sangh Mumbai
Publisher: Dipak Jyoti Jain Sangh Mumbai

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Page 211
________________ (२७१) प्र. अब अण्डसूक्ष्म किसे कहते है ? उ. अण्ड यानी अण्डा । चर्म चक्षु से उसे देखना बहुत ही कठिन हैं। ये भी पांच प्रकार के होते है। वे इस प्रकार :- • मधुमक्खी विगेरे डंश देने वाले प्राणियों के अण्डे, २. मकडी के अण्डे, ३. चिंटियों के अण्डे, ४. • चिपकली के अण्डे और ५. काकिडि के अण्डे । छद्मस्थ साधु साध्वी को इन्हें अच्छी तरह से देखकर परिहरने यानी त्याग करना चाहिये । (२७२) प्र. अब सूक्ष्म लयन किसे कहते है ? उ. लयन यानी बिल, चर्म चक्षु से इसे नहीं देखा जा सकता है। वह लयन (बिल) सूक्ष्म । ये लयन सूक्ष्म भी पांच प्रकार के होते है। वे इस प्रकार से :- १. उत्तिंग-गर्दभाकर जीवों के जमीन में बनाया हुआ स्थान, २. पानी सूक जाने पर उस जमीन पर पड़ी हुई तराड़ों में बिल बने हुओं में जो रहते है उन्हें भृगुलयन कहते है, ३. सरल • बिल सीधा बिल उसे सरल लयन कहते है, ४. ताल वृक्ष के आकार का नीचे चौड़ा और ऊपर सूक्ष्म ऐसा जो है 205 r Private & Personal Use Only 140501405014050040

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