________________
40 500 40 500 40 500 40
में
मधुर व आवाज करनेवाले कलहंस, बगुलें, चक्रवाक, राजहंस, सारस, जलचर गर्व से मस्त हो जलोपयोग कर रहे है तथा तरह तरह के पक्षि नर-मादा के जोड़े इसके जल का उत्साहित हो जलास्वादन कर रहें हैं। सरोवर में रहे हुए कमल पत्रों पर जलबिन्दु मोती का रुप धारण कर शोभा बढ़ा रहे हैं। यह सरोवर देखनेवालों के हृदय और नयनों को शान्ति दायक है, इस कमलों मे रमणीय और आल्हादक सरोवर माता दसवें स्वप्न में देखती है।
(44) इसके बाद ग्यारवे स्वप्न में माता क्षीरोदधि सागर को दुध का सागर देखती है। इस क्षीर सागर का मध्य भाग, चन्द्र रश्मि- किरण समुह की शोभा जैसा अति उज्जवल है, चारों दिशाओं के मार्गों में अतिशय बढते हुए जलराशिवाला अर्थात उस समुद्र में चारों ओर अगाध जल प्रवाह वाला है। फिर यह क्षीर समुद्र कैसा है। अतिशय चंचल व अति ऊंचे उठते हुए जो कल्लोल यानी तरंगे, उनके द्वारा बारंबार इकट्टा होकर बिखरता हुआ पानी जिसका है वैसा, प्रचण्ड पवन के आघात से चलायमान होनेवाला एवं इसी कारण चंचल बनी हुई जो प्रगट तरंग, इधर उधर नृत्य करती जो भंग यानी तरंग विशेष तथा अतिशय क्षोम को धारण करती हुई याने मानों भय-भ्रान्त न हुई हो ? इस प्रकार चारों ओर टकराती तथा इसी कारण शोभती स्वच्छ व उछलती ऐसी जो उर्मियों याने बड़े बड़े कल्लोल अर्थात् समुद्र लहरें इस तरह तरंग, भंग और उर्मियों के साथ
For Private & Personal Use Only
tion International
41
4050140 500 40 500 40