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पोमिल, 3. स्थवीर आर्य जयंत और 4. स्थवीर आर्य तापस।
स्थवीर आर्य नागिल से आर्य नागिला शाखा, स्थवीर आर्य पोमिल से आर्य पोमिला शाखा, स्थवीर आर्य जयंत 2 से जयन्ती शाखा, स्थवीर आर्य तापस से आर्य तापसी शाखा निकली ।
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(२०७) अब और आर्य यशोभद्र से आगे इस प्रकार की स्थविरावली दिखती है। तुंगिकायन गोत्रिय स्थवीर आर्य यशोभद्र के दो स्थवीर शिष्य यथापत्य यानीपुत्र समान स्थवीरअन्तेवासी प्रसिद्ध थे ।
1. प्राचीन गोत्रिय आर्य भद्रबाहु स्थवीर और 2. माठर गोत्रिय आर्य संभूतिविजय स्थवीर । प्राचीन गोत्रिय आर्य भद्रबाहु पुत्र के समान, प्रसिद्ध ये चार स्थवीर अन्तेवासी थे ।
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1. स्थवीर गोदास, 2. स्थवीर अग्निदत्त, 3. स्थवीर यज्ञदत्त और 4. स्थवीर सोमदत्त । ये चारों स्थवीर काश्यप गोत्रीय थे ।
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