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है जिनके निष्क्रमण दीक्षा लेने के समय देवों ने उत्तम छत्र धारण किया वे सुव्रत वाले, शिष्यों की लब्धि से संपन्न ॐ आर्य धर्म को वंदन करता हुं । (६) 9 काश्यप गोत्रिय हस्त को और शिव साधक धर्म को भी वंदन करता हूं | काश्यप गोत्रिय सिंह को और
काश्यप गोत्रिय धर्म को भी वंदन करता हं । (७) 卐 सूत्र रूप और उसके अर्थ रूप रत्नों से पूर्ण, क्षमा संपन और मार्दव गुण संपन्न काश्यप गोत्रिय देवद्धि
क्षमा श्रमण को पांचो अंगो को झुकाकर नमन करता हूं यानी पंचांग प्रणिपात करता हूं।
(स्थविरावली संपूर्ण )
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