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ॐ करने वाला, कुल में अतिशय उद्योत करने वाला होने से सूर्य समान, पृथ्वी की तरह कुल का आधार, कुल की ॐ वृद्धि करने वाला, सर्व दिशाओं में कुल की प्रख्याति करने वाला, कुल में आश्रय रुप होने से तथा अपनी छत्र छाया 3 में प्रत्येक लोगों का रक्षण करने वाला होने से वृक्ष समान, कुल के तंतु समान यानी कुल के आधार रुप जो
पुत्र-पौत्र-प्रपौत्रादि संतति, उस संतति की विविध प्रकार से वृद्धि करने वाला होगा। सुकोमल हाथ पांव वाला, के पांचो इनद्रियों से परिपूर्ण, किसी भी प्रकार की न्यूनता बिना का, लक्षण-व्यन्जन और गुणो से युक्त, मान, वजन Q और ऊंचाई से परिपूर्ण, सर्वांक्ड़, सुन्दर, चन्द्रमा के समान सौम्य आकृतिवाला, मनोहर और वल्लभ सुन्दर रुपवाले
पुत्र को जन्म देगी। 5७६) बाल्यावस्था बीतने के बाद वह पुत्र जब पढ़ लिखकर परिपक्व ज्ञानवान बनेगा और युवावस्था को पाकर वह
शूर-वीर और बड़ा पराकमी बनेगा, उसके पास में विशाल विस्तार वाली सेना और वाहन होंगे। तीन समुद्र व चौथा - हिमवंत-इन-चारों पृथ्वी के अन्त को साधने वाला ऐसे राज्य का स्वामी-चकवर्ती राजा होगा। अथवा तीन लोक का ॐनायक धर्मवर चातरंग चक्रवर्ती ऐसा जिन बनेगा।अतः हे देवानप्रिय। त्रिशला क्षत्रियाणी ने उदार स्वप्न देखे है यावत् :
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