________________
सेवक बने तो भी अच्छा'' इत्यादि प्रकार से लोगों के विकल्पों से बार-बार चिन्तवन किये जाते हुए, भगवान के कान्ति
और सुन्दर रूप को देखकर औरते 'ऐसा हमारा पति हो तो कितना अच्छा इस प्रकार से उनके सामने बार-बार ● देखकर मन में प्रार्थना करने लगी, अर्थात् कान्ति और रूप गुण के कारण भगवान इस प्रकार से प्रार्थना कराते हुए और हजारों अंगुलियों की पंक्तियों से बार-बार देखाए जाते हुए, अनेक हजार जो पुरुष और स्त्रियों, उन पुरुष व स्त्रियों के हजारों नमस्कारों की पंक्तियों को दाहिने हाथ से बार-बार ग्रहण करते हुए, हजारों घरों की पंक्तियों का उल्लंघन करते हुए, उनमें जो वीणा, हाथ की तालियां, और भिन्न-भिन्न वाजिंत्रो का बजना, मधुर, सुन्दर जय जय ना सह आवाज वाले सुन्दर मंजुल जय जय नाद घोष को सुनकर भगवान बराबर सावधान होते हुए, अपने छत्र चामरादि
संपूर्ण वैभव के साथ, अंग पर पहने हुए सभी आभूषणों की कान्ति युक्त सेना के तीन अंग जल-थल और नभ तथा हाथी, घोडा, ऊंट, खच्चर, पालखी प्रमुख बहुत वाहन, शहरी परिवार आदि सब लोगों का बड़ा समुदाय, संपूर्ण आदर व औचित्य सहित, संपूर्ण संपत्ति व शोभा सह, उत्कंठा के साथ, संपूर्ण प्रजाजन याने वणिक, शुद्र, भीलादि जंगली | लोगों, ब्राह्मणादि अठारह वर्णों के साथ, सभी नाटकों, ताल करने वाले, संपूर्ण अन्तपूर के साथ, पुष्प, वसन सुगन्धित मालाओं के साथ, अलंकारों की संपूर्ण शोभा सह, सभी वाजिंत्रो की प्रतिध्वनि सह, इस प्रकार बडी ऋद्धि, कान्ति
94
Jain Education Internatio
14050140501405440