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नहीं मिल पायेगा एवं पाखंडियों का जोर बढ़ेगा, अतः अब संयम का पालन दुष्कर होगा ऐसा सोचकर उस समय कई साधु - साध्विओंने अनशन किया। १३३) उस काल और उस समय में भगवान महावीर के इन्द्रभूति आदि चौदह हजार श्रमणों याने
साधुओं की संख्या थी। १३४) चन्दनबाला विगेरे छत्तीस हजार आर्या याने साविओं की संख्या थी। १३५) शंख-शतक आदि एक लाख गुणसठ हजार श्रावकों की संख्या थी। १३६) सुलसा, रेवती विगेरे तीन लाख अठारह हजार श्राविकाओं की संख्या थी। १३७) जिन नहीं फिर भी जिन की तरह अच्छी तरह स्पष्टीकरण करने वाले ऐसे तीनसो चौदह पूर्वी थे। 138) भगवान महावीर स्वामी के आमषौषधी आदि लब्धि प्राप्त तेरहसो अवधिज्ञानी थे। १३९) संपूर्ण उत्तम ज्ञान और दर्शन प्राप्त किये हुए सातसो केवलज्ञानी हुए। १४०) श्रमण भगवान महावीर के देव न होने पर भी देव जैसी ऋद्धि प्राप्त यानी देव की ऋद्धि करने में समर्थ ऐसे वैकिय लब्धिवाले मुनिओं की संख्या हुई।
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TASHIRTANTANIANS
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