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पर्याय पालकर, एक हजार वर्ष न्यून ऐसे एक लाख पूर्व तक केवली पर्याय पालकर, इस तरह संपूर्ण एक लाख पूर्व तक चारित्र पर्याय पालकर, सभी मिलाकर चौराशी लाख पूर्व का अपना सर्व आयुष्य पूर्ण करके वेदनीय, आयु नाम और गोत्र ये चारों भवोपग्राही कर्म क्षीण होने पर, इस अवसर्पिणी में सुषम दुषमा नाम का तीसरा आरा बहुत कुछ व्यतीत होने पर यानी तीसरे आरे के तीन वर्ष साड़ा आठ मास अवशेष रहने पर जो यह हेमन्त याने शीतकाल का तीसरा महीना पांचवा पक्ष यानी माघ कृष्ण त्रयोदशी के दिन अष्टापद पर्वत के शिखर पर श्रीऋषभ अर्हन् दूसरे चौदह हजार साधुओं के साथ पानी बिना का चतुर्दश भक्त तप तपते और उस समय अभिजित नक्षत्र का योग आने पर दिन के चढते पहोर में पल्यंकासन में रहे हुऐ कालगत् हुए याने निर्वाण पाये ।
(२००) कौशलिक अर्हन् ऋषभ निर्वाण के तीन वर्ष साड़ा आठ महीने कम एक कोटा कोटी सागरोपम जितना समय व्यतीत होने पर श्रमण भगवान महावीर का निर्वाण हुआ । उसके बाद भी नौ सौ वर्ष बीत चुके और अब दसवे सैका का अस्सीवा वर्ष का समय है तब यह ग्रन्थ वाचन हुआ ।
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