________________
रक्खा गया। इन दोहदों में थोडी भी कमी नहीं आने दी। इस प्रकार से उसकी मनोकामना पूरी होने से दोहद शांत हुए। इसके बाद अब दोहद रूक गये है ऐसी वह सहारा लेकर सुख पूर्वक बैठती है, सोती है, खडी होती है, आसन
पर बैठती है, शय्या में आलोटती है, इस प्रकार गर्भ को सुखपूर्वक धारण करती है। 3 ९३) उस काल और उस समय में श्रमण भगवान महावीर ग्रीष्मऋतु का पहला महीना, दुसरा पक्ष अर्थात चैत्र मास ॐ का शुक्लपक्ष चल रहा था, उस चैत्र मास के शुक्ल पक्ष का तेरहवा दिन याने चैत्र शुक्ल तेरस के दिन नव महीने Q पूर्णतः व्यतीत हुए थे और साढ़े सात दिन ऊपर बीत चुके थे, सब ग्रह ऊच्च स्थान में आये हुए थे, चन्द्र का प्रथम * योग चल रहा था, सभी दिशाए सौम्य थी । यान अंधकार बिना की और विशुद्ध थी, शुकन जय-विजय के
सुचित हो रहे थे,पवन दक्षिण दिशा का सुगंधि और शीतल होने से अनुकुल व पृथवी का मंद स्पर्श करता हुआ था, सर्व प्रकार के धान्यादि से पृथ्वी शोभायमान हो चारों ओर खेती लहरा रही थी और देश में सर्वत्र सकाल, आरोग्य विगेरे सानुकुल संयोगो से हर्ष को प्राप्त होने पर वसंतोत्सवादि क्रीड़ा करते हुए देशवासी लोग खुशी
For Postes Pesonal use only
ONE卐0000301030
dation international