Book Title: Ashtak Prakaran
Author(s): Manoharvijay
Publisher: Gyanopasak Samiti

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Page 17
________________ श्लोक-प्रतीक अष्टक/सं० श्लोक-प्रतीक अष्टक/सं० २० ४ مم س م सर्वसंपत्करी चैषा ५ १ स्नायादेवेति न तु सर्वारम्भ निवृत्तस्य ७ १ स्मरणप्रत्यभिज्ञानम् सामायिकविशुद्धात्मा ३० १ स्वरूपमात्मनो ह्यतेद् सामायिकं च मोक्षाङ्गम् २६ १ स्वस्थवृत्तेः प्रशान्तस्य सुवैद्यक्चानाधद्वद् १ ७ स्वोचिते तु यदारम्भ सूक्ष्म-बुद्धया सदा ज्ञ यो २१ १ | हिंस्य कर्मविपाकेऽपि स्नात्वानेन यथायोगम् २ ८ و سه

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