Book Title: Ashtak Prakaran
Author(s): Manoharvijay
Publisher: Gyanopasak Samiti
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ऐं नमः 5 ॐ ह्रीं श्रीं नमः 5 ऐं नमः ॥
शासन सम्राट् श्री विजयने मिसूरीश्वर प्रगुरवे नमः ॥ साहित्यसम्राट् श्री विजयलावण्यसूरीश्वर सद्गुरवे नमः ॥
१४४४ ग्रन्थप्रणेता याकिनीमहत्तरा धर्मसूनु महान् बहुश्रुत परमपूज्य श्राचार्य भगवान् श्रीहरिभद्रसूरीश्वरप्रणीत
5 श्री अष्टक प्रकरण फ
का
सरल हिन्दी भावानुवाद
*
* महादेवाष्टकम् * [ १ ]
न च
यस्य संक्लेश-जननो, रागो नास्त्येव सर्वथा । द्वेषोऽपि सत्त्वेषु, शमेन्धनदवानलः ॥ १ ॥ न च मोहोऽपि सज्ज्ञानच्छादनोऽशुद्धवृत्तकृत् । त्रिलोकख्यातमहिमा, महादेवः स उच्यते ॥ २ ॥ युग्मम्

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