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प्रज्ञापना-६/-/३३४
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धूमप्रभापृथ्वी के नैरयिकों की उत्पत्ति के समान तमःप्रभा में समझना । विशेष यह कि स्थलचर का निषेध करना ।
यदि वे (धूमप्रभापृथ्वी नारक) पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिकों से उत्पन्न होते हैं तो क्या जलचर० से या स्थलचर० से अथवा खेचर० से उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! (वे) जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चों से उत्पन्न होते हैं, स्थलचर० और खेचर० से नहीं । यदि (वे) मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं तो कर्मभूमिज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं, किन्तु अकर्मभूमिज और अन्तर्वीपज से नहीं । यदि कर्मभूमिज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं तो (वे) संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं असंख्यातवर्षायुष्क० से नहीं । यदि संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं तो पर्याप्तको से उत्पन्न होते हैं, अपर्याप्तकों से नहीं । यदि वे पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं तो गौतम (वे) स्त्रियों, पुरुषों और नपुंसकों से भी उत्पन्न होते हैं ।
__ भगवन् ! अधःसप्तमी पृथ्वी के नैरयिक कहां से उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! इनकी उत्पत्ति-सम्बन्धी प्ररूपणा इसी प्रकार तमःप्रभापृथ्वी के समान समझना । विशेष यह कि स्त्रियों का निषेध करना ।
[३३५] असंज्ञी निश्चय ही पहली (नरकभूमि) में, सरीसृप दूसरी तक, पक्षी तीसरी तक, सिंह चौथी तक, उरग पांचवीं तक | तथा
[३३६] स्त्रियां छठी (नरकभूमि) तक और मत्स्य एवं मनुष्य (पुरुष) सातवीं तक उत्पन्न होते हैं । नरकपृथ्वियों में इनका यह उत्कृष्ट उपपात समझना ।
[३३७] भगवन् ! असुरकुमार कहाँ से उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! (वे) तिर्यञ्चयोनिकों और मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं । इसी प्रकार नारकों के समान असुरकुमारों का भी उपपात कहना । विशेष यह कि असंख्यातवर्ष की आयुवाले, अकर्मभूमिज एवं अन्तर्दीपज मनुष्यों और तिर्यञ्चयोनिकों से भी उत्पन्न होते हैं । इसी प्रकार स्तनितकुमारों तक कहना ।
[३३८] भगवन् ! पृथ्वीकायिक जीव कहाँ से उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! तिर्यञ्चयोनिकों, मनुष्ययोनिकों तथा देवों से उत्पन्न होते हैं । यदि (वे) तिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं, तो एकेन्द्रिय यावत् पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं । यदि एकेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों से (वे) उत्पन्न होते हैं तो पृथ्वीकायिकों यावत् वनस्पतिकायिकों से भी उत्पन्न होते हैं । यदि पृथ्वीकायिकों से उत्पन्न होते हैं तो (वे) सूक्ष्म और बादर पृथ्वीकायिकों से उत्पन्न होते हैं ? यदि सूक्ष्म पृथ्वीकायिकों से वे उत्पन्न होते हैं तो पर्याप्त अथवा अपर्याप्त दोनों से ही उत्पन्न होते हैं । यदि बादर पृथ्वीकायिकों से वे उत्पन्न होते हैं तो पर्याप्त या अपर्याप्त बादर पृथ्वीकायिकों से उत्पन्न होते हैं । इसी प्रकार यावत् वनस्पतिकायिकों तक कहना ।
यदि द्वीन्द्रिय से वे (एकेन्द्रिय जीव) उत्पन्न होते हैं तो क्या पर्याप्त द्वीन्द्रिय से उत्पन्न होते हैं या अपर्याप्त से ? गौतम ! दोनों से । इसी प्रकार त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय से भी (वे) उत्पन्न होते हैं । यदि (वे) पंचेन्द्रिय तिर्यम्योनिकों से उत्पन्न होते हैं, तो क्या जलचर पंचेन्द्रियतिर्यञ्चों से उत्पन्न होते हैं इत्यादि प्रश्न | जिन-जिन से नैरयिकों का उपपात कहा है, उनउन से पृथ्वीकायिकों का उपपात कहना । विशेष यह है कि पर्याप्तकों और अपर्याप्तकों से भी उत्पन्न होते हैं ।