________________
आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद
भगवन् ! यदि (वे) परिसर्प - स्थलचर पंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उत्पन्न होते हैं, तो क्या उरः परिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिकों से उत्पन्न होते हैं, (अथवा ) भुजपरिसर्प ० से ? गौतम ! वे दोनों से ही उत्पन्न होते हैं । यदि उरः परिसर्पस्थलचरपंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों से (वे) उत्पन्न होते हैं, तो सम्मूर्च्छिम- उरः परिसर्प-स - स्थलचर० से उत्पन्न होते हैं और गर्भज - उरः परिसर्प० से भी । यदि (वे) सम्मूर्च्छिम- उरः परिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं, तो पर्याप्तक- सम्मूर्च्छिम - उरः परिसर्प ० से उत्पन्न होते हैं, अपर्याप्तक० से नहीं । यदि (वे ) गर्भज-उरः परिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उत्पन्न होते हैं तो पर्याप्तक-गर्भजउरः परिसर्प ० से उत्पन्न होते हैं, अपर्याप्तक० से नहीं । ( भगवन् !) यदि (वे) भुजपरिसर्पस्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उत्पन्न होते हैं, तो क्या सम्मूर्च्छिम-भुजपरिसर्प-स्थलचरपंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिकों से उत्पन्न होते हैं अथवा गर्भज-भुजपरिसर्प ० गौतम ! (वे) दोनों से । यदि सम्मूर्च्छिम-भुजपरिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यंचयोनिकों से उत्पन्न होते हैं तो (वे) पर्याप्तकसम्मूर्च्छिम-भुजपरिसर्प ० से उत्पन्न होते हैं, अपर्याप्तक० से नहीं । यदि गर्भज-भुजपरिसर्पस्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उत्पन्न होते हैं तो पर्याप्तक-गर्भज-भुजपरिसर्प ० से उत्पन्न होते हैं, अपर्याप्तक० से नहीं ।
२०
(भगवन् !) यदि खेचर-पंचेन्द्रिय - तिर्यञ्चयोनिकों से (वे) उत्पन्न होते हैं, तो क्या सम्मूर्च्छिम खेचर-पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं, या गर्भज खेचर० से ? गौतम ! दोनों से । यदि सम्मूर्च्छिम खेचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों से (वे) उत्पन्न होते हैं, तो पर्याप्तक सम्मूर्च्छिम खेचर० से उत्पन्न होते हैं, अपर्याप्तक० से नहीं । यदि (वे) गर्भज खेचर - पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं तो संख्यातवर्ष की आयुवाले गर्भज खेचर० से उत्पन्न होते हैं, असंख्यातवर्षायुष्क० से नहीं । यदि (वे ) संख्यातवर्षायुष्क गर्भज खेचर-पंचेन्द्रियतिर्यग्योनिकों से उत्पन्न होते हैं, तो पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क गर्भज० से उत्पन्न होते हैं अपर्याप्तक० से नहीं ।
(भगवन् !) यदि (वे) मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं तो क्या सम्मूर्च्छिम मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं, अथवा गर्भज से ? गौतम ! गर्भज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं । सम्मूर्च्छिम से नही । यदि (वे) गर्भज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं तो० गौतम ? (वे) कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं तो० गौतम ? (वे) कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं, अकर्मभूमिज० और अन्तद्वीप से नहीं । यदि कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं तो (वे) संख्यात वर्ष आयुवाले कर्मभूमिज० से उत्पन्न होते हैं, असंख्यात वर्ष आयुवाले० से नहीं । यदि (वे ) संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं तो पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क० वाले उत्पन्न होते हैं, अपर्याप्तकसंख्यात वर्षायुक्त० नहीं ।
औधिक नारकों के उपपात के समान रत्नप्रभापृथ्वी के नैरयिकों के उपपात में कहना । शर्कराप्रभापृथ्वी के नारकों का उपपात भी औधिक नैरयिकों के समान समझना । विशेष यह कि सम्मूर्च्छिमों का निषेध करना । शर्कराप्रभापृथ्वी के नैरयिकों की उत्पत्ति के समान वालुकाप्रभा में कहना । विशेष यह कि भुजपरिसर्प का निषेध करना । वालुकाप्रभापृथ्वी के नैरयिकों के समान पंकप्रभा में उत्पत्ति कहना । विशेष यह कि खेचर का निषेध करना । पंकप्रभा पृथ्वी नैरयिकों के समान धूमप्रभा का उत्पाद कहना । विशेष यह कि चतुष्पद का निषेध करना ।