Book Title: Agam 30 Mood 03 Uttaradhyayana Sutra Part 04 Sthanakvasi Gujarati
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
अनु. विषय
पाना नं.
૨૪૫ ૨૪૬ ૨૪૭ २४८
૨૪૮
૨૪૯ ૨પ૧
૨પ૧
૨પ૩ ૨૫૩ ૨પ૪ ૨પ૭
૨પ૯
૨૬૦
२६०
१८२ भिक्षु छोन्यविध्य के निषेध हा नि३पारा १८3 साभुटानि भिक्षा छा नि३पारा १८४ मतघानाघिमें रसलोलुप न होने डा नि३पारा १८५ शुलध्यानपूर्व संयभाराधन हा निधाराम १८६ भृत्युसमय उ पुर्तव्य हा नि३पारा १८७ व और मशव हे स्व३५ हा नि३पारा १८८ व हो प्रकार का नि३पारा १८८ मधी अवों हश भेछा नि३पारा १८० ध हिडा नि३परा १८१ डाल से धर्माधिछा नि३पारा १८२ द्रव्यष्ठी अपेक्षा से ३षिद्रव्य हा नि३पारा १८3 क्षेत्रही अपेक्षा से स्टंध मेवं परभाडा नि३पारा १८४ डाल डे विभाग और डासद्वार छो आश्रित छठे अवों
डी स्थिति जानि३पारा १८५ लावद्वारछो आश्रित रहे स्टंधपरभाशु छा नि३पारा १८६ वर्शगंध आदि प्रत्येऽहे उत्तर भेडा नि३पारा १८७ गंध से परभाशु डा नि३पारा १८८ स्पर्शष्ठो आश्रित रहे और परभाशु छा नि३पाश १८८ संस्थान छो लेष्टर स्टंध परभाशु छा नि३पारा २०० निलाहिवार्यो उ संग डा नि३पारा २०१ गंधगुरा भंग हा नि३पारा २०२ रसभंग हा नि३पारा २०3 स्पर्ष भंग डा नि३पारा २०४ संस्थान संग छानि३पारा २०५ छवाछव स्व३प छा नि३पारा २०६ स्त्री मोक्षसमर्थन २०७ सिद्धों स्व३ध छा नि३पारा २०८ सलो में गति अवरोध डा नि३पारा २०८ पृथिवी संस्थानाध्छिा नि३पारा २१० सिद्धों मेछाडि प्रदेशों में यमनस्वभाव हा नि३पा २११ संसारी स्व३प छा नि३पारा २१२ सा पृथिवी के सात हा नि३पारा
૨૬૬
૨૬૭ ર૭૦ २७१ ર૭ર ૨૯૩ ૨૯૪ ૨૯૬ ૨૯૮
उ०४
304
श्री. उत्तराध्ययन सूत्र:४