Book Title: Agam 30 Mood 03 Uttaradhyayana Sutra Part 04  Sthanakvasi Gujarati
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 15
________________ अनु. विषय पाना नं. ११८ उनोहरी इल डा वर्शन ૧૪પ ११८ क्षेत्रमवभौऱ्या डावार्शन ૧૪૬ १२० डालशोहरी इस हा वर्शन १४८ १२१ भावलमोहरी छा वर्शन १४८ १२२ पर्यायशोहरी छा वर्शन ૧૪૯ १२3 भिक्षायर्या डा वर्शन ૧પ૦ १२४ रसपरित्याग हा वर्शन ૧પ૧ १२५ डायडलेश हा ज्थन ૧પ૨ १२६ संलीनता छा वर्शन ઉપર १२७ आल्यंतर तप छा वर्शन ૧પ૩ १२८ शविध प्रायश्चित हा वर्शन ૧પ૩ १२८ विनय डा वर्शन ૧પપ १३० वैयावृत्य डा वर्शन ૧પપ १३१ स्वाध्याय का वर्शन ૧પ૬ १३२ घ्यानतप और व्युत्सर्गतप छा वर्शन ૧પ૬ १33 अध्ययन डा उपसंहार और हो प्रहार हे तपइसा वर्शन १५७ १३४ छतीसवें अध्ययन छा प्रारंभ और याविधि डा वर्शन १५७ १3५ जतीसवें अध्ययन का प्रारंभ और प्रभास्था हा वर्शन ૧૬૪ १३६ प्रभास्थान वर्शन में यक्षुरिन्द्रिय छा वर्शन १७५ १३७ राग अनर्थ भूलत्व हा नि३पारा १७७ १३८ ३पमें तृप्ति रहितो घोषों छा वर्शन १८० १3८ महत्ताघान शील घोष वर्शन १८० १४० ३पमें द्वेष उरना भी अनर्थ भूतत्व होने हा ज्थन १८3 १४१ ३पभे रागद्वेष न धरने पर गुरा डा ज्थन १८ १४२ श्रोतेन्द्रिय हा नि३पारा १८४ १४३ धाडशेन्द्रिय का नि३पारा १८८ १४४ शिवेन्द्रिय का नि३पारा ૧૯૨ १४५ स्पर्शनेन्द्रिय का नि३पारा ૧૯પ १४६ भन हा निधारा ૧૯૮ १४७ डाभभोग स्व३५ हा नि३पारा ૨૦૨ १४८ विकृति स्व३प डा नि३पारा ૨૦૩ १४८ राग ठे अपनयन-टूर ने डे प्रहार जा नि३पारा ૨૦૪ श्री. उत्तराध्ययन सूत्र:४

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