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बल संग्रह के विविध कारण मनुष्य निज स्वार्थ की अपेक्षा से वह विभिन्न प्रकार की हिंसा करता रहता है। ___1. आत्मबल या शरीर बल को बड़ाने के लिए माँस, मदिरा, औषधि आदि का सेवन किया जाता है।
2. जातिबल-अपना पक्ष मजबूत करने के लिए मित्र, जाति और परिवार वालों को धन आदि देता है।
3. देवबल-देवी-देवता आदि को प्रसन्न करने के लिए बलि देता है।
4. राजबल-राजा का सम्मान पाने के लिए, आजीविका आदि के लिए राजाओं को प्रसन्न करता है। ____5. चोरबल-चोरों आदि से सांठगांठ करके उन्हें सहयोग कर उनसे धन प्राप्त करना चाहता है।
6. अतिथि, कृपण, श्रमण-बल-आदि को यश-कीर्ति के लिए भोजन, धन आदि देता है।