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.. श्री आचारांगसूत्रम् • कषाय विजय विधि. मूलसूत्रम्
इंदियाणि समीरए। पद्यमय भावानुवाद
सावधान साधक रहे, इन्द्रिय विषय कषाय। हटा लीजिए चित्त को, ये ही सरल उपाय।।
•जिनमार्ग. मूलसूत्रम्
अयं से उत्तमे धम्मे। पद्यमय भावानुवाद
अनशन उत्तम धर्म है, कहते हैं जिनराज। पादपोपगमन श्रेष्ठ अति, मृत्यु-वरण सुख-साज।।
• देहत्याग विधि. मूलसूत्रम्
अचित्तं तु समासज्ज, ठावए तत्थ अप्पगं।
वोसिरे सव्वसो कायं, ण मे देहे परीसहा।। पद्यमय भावानुवाद
अगर उदय उपसर्ग हो, मरण तुल्य भयवान। तब तू देह बिसार दे, बनकर समतावान ।।१।। यह भी चिन्तन सतत हो, मेरा नहीं शरीर। फिर कैसे उपसर्ग हो, चाहे लाखों पीर।।२।।
• आत्मार्थी . मूलसूत्रम्
जावज्जीवं परीसहा, उवसग्गा य संखाय।