Book Title: Acharang Sutram
Author(s): Vijaysushilsuri, Jinottamsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti

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Page 172
________________ भगवान महावीर की विहार चर्या 1. भगवान महावीर हेमन्त ऋतु में दीक्षित हुए। उन्होंने कंधे पर डाले हुए वस्त्र को निर्लिप्त भाव से धारण किया था। अपने स्वजन - परिजनों को छोड़कर तत्काल क्षत्रियकुण्ड से विहार कर गये । 2. दीक्षा के समय भगवान के शरीर पर सुगन्धित गोशीर्ष चन्दन आदि लगा था। मधुमक्खी, भ्रमर आदि अनेक क्षुद्र प्राणी उससे आकृष्ट हो शरीर पर डंक मारते, खून पीते, माँस नोंच लेते। यह क्रम चार मास से अधिक समय तक चलता रहा। 3. भगवान एक-एक प्रहर तक तिरछी दीवार पर आँखें टिकाकर अन्तरात्मा में ध्यान करते थे । उनकी विस्फारित आँखें देखकर भयभीत हुए लोग चिल्लाते, उन पर डण्डों आदि से प्रहार करते । 4. भगवान को एकान्त में खड़ा देखकर कुछ कामुक स्त्रियाँ उनके सौन्दर्य पर मुग्ध होकर उनसे भोग प्रार्थना करतीं । तब प्रभु ध्यान गहरे प्रविष्ट हो जाते । तो 5. भगवान को ध्यानस्थ देख कुछ लोग उनका अभिवादन करते कुछ डण्डों से पीटने लगते। कुछ लोग उन्हें प्रसन्न करने के लिये वीणा आदि बजाते किन्तु प्रभु सबसे निरपेक्ष रहकर अपने ध्यान में स्थिर रहते ।

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