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दूसरा अध्ययन : लोक विजय
जो भी हिंसा हेतु हो, तज देना वह कार्य | तीन योग य करण से, करें त्याग अनिवार्य । । २ । । लोक संज्ञा प्रथम तू, रे साधक अवलोक । त्यागे सूरि 'सुशील' तो, आत्मा बने अशोक । । ३ ।।
अज्ञानी दशा
मूलसूत्रम् -
उद्देसो पासगस्स णत्थि, बाले पुण णिहे । कामसमणुण्णे असमियदुक्खे दुक्खी दुक्खाणमेव आवट्टं अणुपरियट्टा । त्ति बेमि ।
पद्यमय भावानुवाद
द्रष्टा मुनि को है नहीं, आवश्यक उपदेश । जाने कारण दुक्ख के, रहता सजग हमेश । । १ । । राग-द्वेष आसक्त जो, पीड़ित रोग कषाय । काम मनोहर मान्यता, दुक्ख शमन कब पाय ।।२।।
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द्वय विधि दुख से दग्ध जो, दुक्ख चक्र भटकाय । अज्ञानी प्रकटित दशा, ज्ञानी जन बतलाय । । ३ । ।