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जिस व्यक्ति ने कभी चेष्टा ही नहीं की हो, वह सफल भी हो तो कैसे? हर सफलता के पीछे सौ-सौ असफलताएँ छिपी रहती हैं । मैं एक ऐसे व्यक्ति का नाम आदरसहित लेना चाहूँगा, जिसने अपने जीवन में एक-दसपचास या हजार बार नहीं, अपितु दस हजार दफा असफलता का सामना किया है। मात्र अपनी चालीस वर्ष की उम्र में जिसने दस हजार बार असफलता झेली थी, जो असफल पर असफल होता रहा, जिसके मित्र भी साथ छोड़कर चले गए, यहाँ तक कि पन्द्रहवें वर्ष में पत्नी भी साथ छोड़कर चली गई, मगर जिस आविष्कार के लिए वह प्रयत्नरत था, सोलहवें वर्ष के प्रयास में, चालीस वर्ष की उम्र में उसने वह सफलता अर्जित की जिससे यह सम्पूर्ण दुनिया दूधिया रोशनी से नहा उठी। क्या आप जानते हैं उस व्यक्ति का नाम जिसने इन बल्बों का आविष्कार किया, जिसकी रोशनी से यह दुनिया उसके प्रति कृतकृत्य और चमत्कृत हो उठी? उस व्यक्ति का नाम था-थॉमस अल्वा एडीसन।
हम एडीसन से प्रेरणा लें। उससे अपने लिए उत्साह की ऊर्जा प्राप्त करें। आखिर ऐसा कौनसा व्यक्ति है जिसे अपने जीवन में असफलता न मिली हो? हर असफलता व्यक्ति को आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा देती है। हर नाकामयाबी व्यक्ति को आगे नया सीखने के लिए उत्सुक बनाती है। जो लग चुकी ठोकर से संभल जाता है, वह आगे चल कर ठोकर नहीं खाता और जो उस ठोकर को भूल जाता है, वह जिंदगी भर ठोकरें ही खाता रहता है।
मैं कहना चाहूँगा, ऐसे व्यक्ति के बारे में जिसने इक्कीसवें वर्ष में वार्ड मेम्बरशिप का चुनाव लड़ा किन्तु वह हार गया। बाइसवें वर्ष में शादी की, पर असफल रहा। चौबीसवें वर्ष में व्यवसाय करना चाहा, फिर नाकामयाब रहा। सत्ताईसवें वर्ष में पत्नी ने तलाक दे दिया। बत्तीसवें वर्ष में सांसद के पद के लिए खड़ा हुआ, पर मात खा गया। सैंतीसवें वर्ष में कांग्रेस की सीनेट के लिए खड़ा हुआ किन्तु पुनः हार गया। बयालीसवें वर्ष में पुनः सांसद-पद के लिए खड़ा हुआ और हार गया। सैंतालीसवें वर्ष में उप-राष्ट्रपति पद के लिए खड़ा हुआ पर परास्त हो गया। लेकिन वही व्यक्ति इक्यावन-वर्ष की उम्र में
आपकी सफलता आपके हाथ
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