Book Title: Aapki Safalta Aapke Hath
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 67
________________ खुश हो जाइए। सदाबहार खुश रहिए। रात को भी सोएँ, तब बड़ी मस्ती से मुस्कुराते हुए सोएँ। फिर देखें, कैसी सुख और सुकून भरी नींद आती है? जब आप ऑफिस से घर पहुंचे, तब घर में प्रवेश करने से पहले एक मिनट मुस्कुरा लीजिए वरना आप ऑफिस और काम की चिकचिक बेवजह घर वालों की थाली में परोसने लग जाएँगे। कोट-शर्ट बाद में उतारें पहले घर के बाहर रखे कूड़ेदान में अपने सारे दुःख, तनाव, अवसाद, चिड़चिड़ापन डाल दीजिए। आपके पर्स में तूंस-ठूस कर भरे हुए वे आलतू-फालतू के कागज-पत्र-पूर्जे इत्यादि भी फेंक डालिए, जो आपने पर्स को वजनी बनाने के लिए डाल रखे हैं। ये भी बोझ ही हैं। आप तो हर बोझ से मुक्त बनिये। बड़ी मुस्कुराहट के साथ घर में प्रवेश कीजिए, जहाँ आपकी पत्नी, आपके बच्चे और आपके माता-पिता सुबह से आपके लौटने का इंतजार कर रहे हैं। वे अपनी शुभकामनाएँ लिये हुए आपकी राह देख रहे हैं। जब आप मुस्कान के साथ घर में प्रवेश करते हैं तो वह घर, घर न रहकर जन्नत बन जाता है। यदि आप चिन्ता, खीझ, गुस्सा, तनाव और नकारात्मक सोच के साथ घर में प्रवेश करते हैं तो पत्नी यही सोचती है कि पति घर से बाहर ही रहें तो अच्छा हो। अपना मान बढ़ाना है तो अपनी मानसिकता को बेहतर बनाइये। आप जहाँ भी जाएँ, वहाँ आपका मान और मूल्य हो। जिस परिवार या समाज में आपका मूल्य नहीं है, वहाँ जाने से बचें। साथ ही स्वयं को भी टटोलें कि वहाँ आप स्वीकार्य क्यों नहीं हैं? यदि कहीं कमी है तो उसमें सकारात्मकता लाएँ। जीवन की सफलता का प्रथम एवं अन्तिम मंत्र सकारात्मक सोच ही है। अच्छे विचार लीजिए और अच्छे विचार दीजिए। अगर आपकी जेब में एक रुपया है और आपने वह एक रुपया सामने वाले को दिया और सामने वाले ने अपनी जेब का एक रुपया आपको दिया तो दोनों की जेबों में कितनेकितने रुपये बचे? जी हाँ, दोनों की जेबों में एक-एक रुपया ही रहेगा। जबकि अगर आप एक अच्छा विचार, प्रभावी चिन्तन और उन्नत जीवनदृष्टि ६६ आपकी सफलता आपके हाथ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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