Book Title: Aapki Safalta Aapke Hath
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 96
________________ और मैं हलाल हो जाता। जो होता है, अच्छे के लिए ही होता है, यह मानकर आप निश्चित रहें और चिंता न पालें । जो होना है, वह तो होगा ही । मृत्यु और जन्म समानांतर चलते रहते हैं । इसमें कोई कुछ नहीं कर सकता। फिर हम अपनी मस्ती से क्यों वंचित रहें? जिसका जो होना है, वह होगा । 'राम-राम', बड़ा ही अच्छा शब्द है 'राम-राम ।' तोता जिस तरह इस शब्द को बोलता है उस तरह से हमें नहीं बोलना है । 'राम-राम' का अर्थ होता है ‘आराम-आराम' अर्थात् राम में आराम करो। राम में रमण करो । अपने में निश्चिंत रहो । जो अपने में रमता है, उसका नाम राम है। बाकी तो सारा नाम और राम आजकल राजनीति का दाँवपेच बन गया है । निश्चिंतता! न अतीत की और न भविष्य की चिंता । जो है, उसके वर्तमानसापेक्ष बनें। आप वर्तमान जीवन के साथ अपने आप को जोड़ें। वर्तमान में जीना, वर्तमान को जीना, वर्तमान के होकर जीना - अपने आप में सत्य को ही जीना है, प्राप्त जीवन को ही जीना है । अतीत हमेशा चिंता को बढ़ावा देता है और भविष्य सपनों का जाल बुनता है। शांति के लिए तो एक ही मंत्र अपना लें : 'बीत गई सो बात गई ।' लोग अतीत से ऐसे चिपके हैं कि हजारों वर्ष पूर्व हो चुकी किसी माँ की तो दिन-रात पूजा करते रहेंगे और सामने खड़ी माँ को दुत्कारते रहेंगे । अतीत में जन्म चुके कृष्ण की प्रार्थना करते रहेंगे और घर-घर में जन्म ले रहे कृष्ण के बालरूप को अनदेखा करते रहेंगे। हम प्रेक्टिकल हों, सगतिक हों । केवल हो चुके का आलाप न करते फिरें, वर्तमान के आध्यात्मिक सौन्दर्य का भी रसपान करें । वर्तमान-चेता व्यक्ति जहाँ चिंता और तनावमुक्त रहेगा, वहीं प्रगति नित्य - नये द्वार भी खोल सकेगा । ध्यान रखिए वर्तमान ही गति - प्रगति है । हम वर्तमान मे जन्में हैं, वर्तमान का ही सामना करते हैं, और वर्तमान में ही मर जाएँगे। वर्तमान को मूल्य न दे पाने के कारण ही लोग चिन्ता और तनाव में पड़कर बेशुमार नशा - पता करते रहते हैं । मेरे देखे, आज के श्रम से, वर्तमान के नजरिये से न केवल जीवन का वर्तमान बनाया जा सकता है, जीवन में अपनाएँ निश्चितता का नज़रिया वरन् ९५ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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