Book Title: Aapki Safalta Aapke Hath
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 97
________________ भविष्य को भी संवारा और निखारा जा सकता है। __ अच्छा होगा, हम अपनी चिंता को, अपने तनाव को जो भी हमारे दिमाग के भीतर हमको बोझ महसूस होता है और जिसके चलते हमारे भीतर शांति नहीं है, हम उसको छोड़ दें। हम अपनी पत्नी को नहीं छोड़ सकते, अपने बच्चों को नहीं छोड़ सकते, हम संन्यास नहीं ले सकते, पर यह संन्यास तो लिया ही जा सकता है कि छोड़ दें अपने तनाव, गुस्से और चिंता को। जो कचरा हमारे दिमाग में कब्ज की तरह हममें भरा हुआ है उसे बाहर निकाल दें। हम अपने पास सदा ऐसा सिक्का रखें जिस पर हम चार्ली चैप्लिन का चेहरा बना लें। जैसे ही वह सिक्का हाथ में आए, चार्ली चैप्लिन का मुस्कुराता हुआ चेहरा हमें दिखाई पड़े और हम भी मुस्कुराने लगे। इतना ही नहीं, सिक्के की दूसरी तरफ हम अपना स्वयं का चेहरा भी चार्ली चैप्लिन की तरह बना लें ताकि हम उन्हें देखते रहें और सदा प्रसन्न रहें। इसलिए अपने पास आप ऐसा सिक्का जरूर रखिए जिसके दोनों ओर खुशी ही खुशी खुदी हुई हो। कल का दिन किसने देखा है, आज का दिन हम खोएँ क्यों? जिन घड़ियों में हँस सकते हैं, उन घड़ियों में रोएँ क्यों? जीवन का अर्थ समझिए । जीवन को उसके अर्थ प्रदान कीजिए। रोरोकर जीवन को जीना कोई जीना है ! जीवन चाहे चार दिन का हो या चालीस वर्ष का, जब तक जिएँ प्रत्येक क्षण को आनन्द-भाव से जिएँ। आनन्द आत्मा का मौलिक स्वभाव है। अपने स्वभाव को उपलब्ध कीजिए। हम किसी के क्रोध का सामना करते हुए भी मस्त रहें और प्रेम में भी। यदि कोई हम पर चीख भी उठे तब भी हम तो अपनी मस्ती में ही मस्त रहेंगे। कोई गुस्सा करे तब भी रोटी खाना न छोड़ें। हमें यदि कभी भी गुस्सा आ जाए तो भी ऐसा न करना कि किसी अलग कमरे में जाकर बैठ गये जैसे ९६ आपकी सफलता आपके हाथ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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