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किसी के दु:खों को दूर कर सको, किसी के गम को हल्का कर सको, किसी भी भूखे, बेसहारे आदमी के जीवन का संबल बन सको, तो सचमुच बहुत बड़े पुण्यात्मा बन सकोगे।
__ भगवान के घर में उन्ही की पूजा पहुँच पाती है, जो प्राणिमात्र में उसी की मूरत देखा करते हैं। हम शिक्षा और चिकित्सा के मार्ग को स्वीकार करें। हर समाज, हर संगठन, हर संघ अपने संघ के विकास के लिए शिक्षा और चिकित्सा की व्यवस्था करे। मैं चाहूँगा कि मेरी यह बात दुनिया की हर कौम, हर परम्परा, हर समाज में पहुँचे कि हर कौम का अपना विद्यालय होना चाहिए, हर कौम का अपना अस्पताल होना चाहिए और हर कौम के आदमी को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सहायता केन्द्र होना चाहिए।
___ हम चाहे जिस कौम के क्यों न हों, हम भले ही दूसरी कौम के आदमी को सहायता न दे पाएँ, परन्तु कम-से-कम अपनी कौम के आदमी को तो सहायता दे ही सकते हैं। अगर हर कौम का आदमी अपनी कौम के आदमी को आत्मनिर्भर बनाने के लिये प्रयत्नशील हो जाता है तो हर कौम सुखी-समृद्ध होगी, सारा संसार सुखी और समृद्ध होगा। मैंने सुना है सिंधी आदमी कभी भी किसी के सामने हाथ नहीं फैलाता और न ही वह भीख ही मांगता है। दुनिया की हर कौम इस बात से प्रेरणा क्यों नहीं लेती कि जब हम अपने आप ही आत्मनिर्भर हो सकते हैं तो किसी के आगे हाथ क्यों फैलाएँ?
हम अपने समाज में विद्यालय बनाएँ। यदि हमें ऐसा लगता है कि हमारी कौम, हमारे समाज में विद्यालय नहीं है तो हम केवल सरकारी मिश्नरी के आधार पर बच्चों को पढ़ाएँ इसकी बजाय जिस धर्मपरम्परा के संस्कार हम देना चाहते हैं, उन संस्कारों को आगे बढ़ाने के लिए अपनेअपने समाज और अपनी-अपनी कौम में विद्यालय जरूर बनाये। चाहे हम आज बनाएँ, चाहे दस साल के बाद बनाएँ, लेकिन अवश्य बनाएँ। हम यह उद्देश्य लेकर चलें कि हम अपने समाज का एक विद्यालय अवश्य बनाएँगे। अगर हमारे समाज का कोई भी छात्र ऊँचे स्तर की पढ़ाई करना चाहता है
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आपकी सफलता आपके हाथ
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