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घमंडी आदमी को नीचे झुकाने के लिए हवा के झोंके के साथ उड़ता हुआ तिनका ही बहुत होता है। यदि वह एक बार भी आँख में गिर जाए तो आदमी कि सारी अकड़ धरी रह जाती है। जब हम किसी से नफरत करते हैं तो मैं पूछना चाहूँगा कि उसको हम जिस दशा में नफरत करते हैं अगर वही दशा हमारी होती तो हम क्या करते? जो भाव हमारे भीतर आएँगे, वे ही भाव उसके भीतर भी आएँगे। हमारी दहलीज पर कोई भिखारी भीख माँगने चला आये तो कृपा करके उसको दुतकारें नहीं। कोई भी भिखारी किसी से मांगने के लिए नहीं आता। वह तो जीवन की यह नसीहत देने के लिए आता है कि 'हे बन्दो, मैंने कभी किसी को कुछ भी नहीं दिया जिसका परिणाम यह निकला कि मैं भिखारी बना।' अगर हम भी किसी को नहीं देंगे तो हमारी भी वही हालत होगी जो आज उस भिखारी की हुई है।
जिस व्यक्ति को हम अपने द्वार से दुत्कार रहे हैं, क्या पता कि वह कोई महावीर हो। जब चंदनबाला के द्वार पर महावीर पहुँचे थे तो उनको वह यदि यह समझ लेती कि वह नंग-धडंग फकीर आदमी कोई भिखारी होगा तो शायद चंदनबाला भगवान महावीर को उनका दिव्य अभिग्रह पूर्ण करवा पाने में समर्थ न हो पाती। क्या पता चलता है कि जिसको आज हम दीन-हीन समझते हैं वह कभी राम, कृष्ण, रहीम रहा हो। भगवान कब किस गरीब का रूप धारण करके किसके द्वार पर पहुँचते हैं उसका पता नहीं चलता। यह न समझें कि भगवान कभी हमारे द्वार पर शिव के रूप में आएंगे अथवा राम या रहीम के रूप में आएँगे। मैं दुनिया के सभी धर्मात्माओं और महात्माओं से कहूँगा कि वे ईमानदारी के साथ मंच पर खड़े होकर तथा मानवता की कसम खाकर यह कह दे कि उनके द्वार पर कभी राम आए, कभी महावीर या बुद्ध आए। लेकिन मैं यह भली भाँति जानता हूँ कि हर आदमी को कसौटी पर कसने के लिए जिंदगी में एक बार भगवान जरूर आया करते हैं। वे राम के रूप में न आकर किसी गरीब-गुरबे के रूप में आते हैं। हो सकता है कि जिस कुत्ते की पीठ पर हमने लाठी मारी है, वह कुत्ता कुत्ता न हो कर राम के रूप में भेजा गया कोई देवदूत हो।
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आपकी सफलता आपके हाथ
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